SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 322
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्रियाकोष ज्ञान कल्याणक व्रत पद्धरी छन्द जिन नेमिश्वर पडिवा कुंवार, संभवजिन चौथहि ज्ञान धारि । कातिक सुदि दोयज पुहुपदन्त, लहि केवल बारस अर महंत ॥१८४३॥ मगसिर सुदि ग्यारस मल्लिबोध, ग्यारस नमि हणिया कर्म जोध । शीतल वदि चौदसि पौष ज्ञान, सुदि दशमी सुमति केवल महान | १८४४ ॥ सुदि ग्यारस अजित सुबोध पाय, चौदस अभिनन्दन ज्ञान थाय । पून्यों लहि केवल धर्मवीर, श्रेयांस अमावस माघ धीर ॥। १८४५॥ सुदि वासुपूज्य दोयज प्रकाश, छठि विमलनाथ केवल विभास । फागुण वदि छठि जु सुपार्श्व ईश, सातै चन्द्रप्रभु नमूँ शीश || १८४६॥ २९५ फागुन वदि ग्यारस वृषभ जान, वदि चैत चौथ पारस बखान । अमावस श्री जिनवर अनंत, सुदि तीज कुंथु केवल लहंत || १८४७॥ सुदि ग्यारस सुमतिजु बोध पाय, पदम प्रभु पून्यो ज्ञान थाय । सुव्रत नौमी वैशाख श्याम, सुदि दसै वीर जिन बोध पाम || १८४८ ॥ दोहा ज्ञानकल्याणक वर्णयो, उत्तर पुराणमें जेम । अब निर्वाणप्रमाण तिथि, सुनहु भविक धर प्रेम || १८४९ || ज्ञान कल्याणककी तिथियाँ- कुंवार ( आसोज) वदी पडिवा नेमिनाथकी, कुंवार वदी चतुर्थी संभवनाथकी, कार्तिक सुदी द्वितीया पुष्पदन्तकी, कार्तिक वदी द्वादशी अरनाथकी, मगसिर सुदी एकादशी मल्लिनाथकी, मगसिर सुदी एकादशी नमिनाथकी, पौष वदी चतुर्दशी शीतलनाथकी, पौष सुदी दशमी सुमतिनाथकी, पौष सुदी एकादशी अजितनाथकी, पौष सुदी चतुर्दशी अभिनंदननाथकी, पौष सुदी पूर्णिमा धर्मनाथकी, माघ वदी अमावास्या श्रेयांसनाथकी, माघ सुदी द्वितीया वासुपूज्यकी, माघ सुदी षष्ठी विमलनाथकी, फागुन वदी षष्ठी सुपार्श्वनाथकी, फागुन वदी सप्तमी चंद्रप्रभकी, फागुन वदी एकादशी ऋषभनाथकी, चैत्र वदी चतुर्थी पार्श्वनाथकी, चैत्र वदी अमावास्या अनन्तनाथकी, चैत्र सुदी तृतीया कुन्थुनाथकी, चैत्र सुदी एकादशी सुमतिनाथकी, चैत्र सुदी पूर्णिमा पद्मप्रभकी, वैशाख वदी नवमी मुनिसुव्रतनाथकी और वैशाख सुदी दशमी महावीरकी ज्ञानकल्याणककी तिथि है || १८४३-१८४८।। उत्तर पुराणमें जैसा ज्ञानकल्याणकका वर्णन है तदनुसार हमने वर्णन किया। अब हे भव्यजनों ! प्रेमपूर्वक निर्वाण कल्याणककी तिथियोंका वर्णन सुनो ।। १८४९॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001925
Book TitleKriyakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishansinh Kavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Principle
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy