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________________ धातुरत्नाकर द्वितीय भाग आत्मनेपद परस्मैपद व. फक्कयते फक्कयेते फक्कयन्ते व. ताकयति ताकयतः ताकयन्ति फक्कयसे फक्कयेथे फक्कयध्वे स. ताकयेत् ताकयेताम् ताकयेयुः फक्कये फक्कयावहे फक्कयामहे प. ताकयतु/ताकयतात् ताकयताम् ताकयन्तु स. फक्कयेत फक्कयेयाताम् फक्कयेरन् ह्य. अताकयत् अताकयताम् अताकयन् फक्कयेथाः फक्कयेयाथाम् फक्कयेध्वम् अ. अतीतकत् अतीतकताम् अतीतकन् फक्कयेय फक्कयेवहि फक्कयेमहि प. ताकयाञ्चकार ताकयाञ्चक्रतुः ताकयाञ्चक्रुः प. फक्कयताम् फक्कयेताम् फक्कयन्ताम् आ. ताक्यात् ताक्यास्ताम् ताक्यासुः फक्कयस्व फक्कयेथाम् फक्कयध्वम् श्व. ताकयिता ताकयितारौ ताकयितारः फक्कयै फक्कयावहै फक्कयामहै भ. ताकयिष्यति ताकयिष्यतः ताकयिष्यन्ति ह्य. अफक्कयत अफक्कयेताम् अफक्कयन्त क्रि. अताकयिष्यत् अताकयिष्यताम् अताकयिष्यन् अफक्कयथाः अफक्कयेथाम् अफक्कयध्वम् आत्मनेपद अफक्कये अफक्कयावहि अफक्कयामहि व. ताकयते ताकयेते ताकयन्ते अ. अपफक्कत अपफक्केताम् अपफक्कन्त स. ताकयेत ताकयेयाताम् ताकयेरन् अपफक्कथाः अपफक्केथाम् अपफक्कध्वम् प. ताकयताम् ताकयेताम् ताकयन्ताम् अपफक्के अपफक्कावहि अपफक्कामहि प. फक्कयाञ्चके फक्कयाञ्चक्राते फक्कयाञ्चक्रिरे ह्य. अताकयत अताकयेताम् अताकयन्त फक्कयाञ्चकृषे फक्कयाञ्चक्राथे फक्कयाञ्चकृढ्वे अ. अतीतकत अतीतकेताम् अतीतकन्त फक्कयाञ्चक्रे फक्कयाञ्चकृवहे फक्कयाञ्चकृमहे प. ताकयाञ्चक्रे ताकयाञ्चक्राते ताकयाञ्चक्रिरे फक्कयाम्बभूव/फक्कयामास आ. ताकयिषीष्ट ताकयिषीयास्ताम् ताकयिषीरन् आ. फक्कयिषीष्ट फक्कयिषीयास्ताम् फक्कयिषीरन् । श्व. ताकयिता ताकयितारौ ताकयितार: फक्कयिषीष्ठाः फक्कयिषीयास्थाम फक्कयिषीदवम् | भ. ताकयिष्यते ताकयिष्येते ताकयिष्यन्ते फक्कयिषीध्वम् क्रि. अताकयिष्यत अताकयिष्येताम् अताकयिष्यन्त फक्कयिषीय फक्कयिषीवहि फक्कयिषीमहि ५२ तकु (तड्क्) कृच्छ्रजीवने। श्व. फक्कयिता फक्कयितारौ फक्कयितार: फक्कयितासे फक्कयितासाथे फक्कयिताध्वे परस्मैपद फक्कयिताहे फक्कयितास्वहे फक्कयितास्महे | व. तङ्कयति तङ्कयतः तङ्कयन्ति भ. फक्कयिष्यते फक्कयिष्येते फक्कयिष्यन्ते तङ्कयसि तङ्कयथः तङ्कयथ फक्कयिष्यसे फक्कयिष्येथे फक्कयिष्यध्वे । तङ्कयामि तङ्कयामः फक्कयिष्ये फक्कयिष्यावहे फक्कयिष्यामहे स. तङ्कयेत् तङ्कयेताम् तङ्कयेयुः क्रि. अफक्कयिष्यत अफक्कयिष्येताम् अफक्कयिष्यन्त तङ्कयेतम् तङ्कयेत अफक्कयिष्यथाः अफक्कयिष्येथाम्अफक्कयिष्यध्वम् । तङ्कयेयम् तङ्कयेव तङ्कयेम अफक्कयिष्ये अफक्कयिष्यावहि प. तङ्कयतु/तङ्कयतात् तङ्कयताम् । तङ्कयन्तु अफक्कयिष्यामहि तङ्कय/तङ्कयतात् तङ्कयतम् तङ्कयत ५१ तक (तक्) हसने। तङ्कयानि तङ्कयाव तङ्कयाम तङ्कयावः तङ्कयेः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001921
Book TitleDhaturatnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLavanyasuri
PublisherRashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi
Publication Year2006
Total Pages698
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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