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________________ तीर्थकर-चरित्र भाग ३ ककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककर कृपा कर के मेरा राज्य भी आप ही स्वीकार की जिये । मैं तो आपकी सेवा को ही परम लाभ समझता हूँ।" "भद्र यवनराज ! तुम्हारा कल्याण हो । तुम निर्भय हो और सुखपूर्वक अपने राज्य का नीतिपूर्वक पालन करो। मैं यही चाहता हूँ कि तुम इस प्रकार के तुच्छ झगड़े और राज्य तथा भोगलालसा छोड़ों और आत्मा को उन्नत बनाओ।" युवराज ने यवनराज का उचित सत्कार कर के बिदा किया। राजकुमारी प्रभावती के साथ लग्न यवनराज का घेरा कुशस्थल पर से उठ गया । पुरुषोत्तम दूत ने नगर में प्रवेश कर के प्रसेनजित नरेश से पार्श्वकुमार के आगमन और विपत्ति टलने का हर्षोत्पादक समाचार सुनाया, तो वे परम प्रसन्न हुए । महोत्सव होने लगा । नागरिकजन प्रफुल्ल हो उठे। प्रसेनजित नरेश सपरिवार-राजकुमारी प्रभावती और अधिकारीवर्ग को साथ ले कर अपने उद्धारक पार्श्वकुमार का अभिनन्दन करने और पुत्री को अर्पण करने आये । वे युवराज को नमस्कार कर के कहने लगे-- "स्वामिन् ! आपका यहाँ पदार्पण अचानक ही इस प्रकार हुआ कि जैसे बिना बादल और गर्जना के मेघ का बरस कर संतप्त भमि को शीतल करना हो । यद्यपि यवनराज मेरा शत्रु बन कर आया था, तथापि उसके निमित्त से आपका यहाँ पदार्पण हुआ । इस प्र कार यवन का कोप भी मेरे लिये लाभदायक हआ। अन्यथा आपके शुभागमन का सौभाग्य मुझे कैसे प्राप्त होता । आपका और महाराजाधिराज अश्वसेनजी का मुझ पर असीम उपकार हुआ है । अब कृपा कर मेरी इस पुत्री को स्वीकार कर के मुझे विशेष अनुग्रहीत करने की कृपा करें। यह लम्बे समय से मन-ही-मन अपने-आपको आप के श्रीचरणों में समर्पित कर चुकी है।" प्रभावती पार्श्वनाथ को देखते ही स्तब्ध रह गई । किन्नरियों से सुना हुआ युवराज का वर्णन प्रत्यक्ष में अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया। वह तो पहले से ही समर्पित थी । अब उसे सन्देह होने लगा-"यदि प्रियतम ने मुझे स्वीकार नहीं किया, तो क्या होगा? ये तो मेरे सामने भी नहीं देखते।" वह चिन्तित हो उठी । इतने में पार्श्वकुमार की धीरगंभीर वाणी सुनाई दी;-- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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