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________________ तीर्थंकर चरित्र - भाग ३ कककककककककककककककककक ककककककककककककक कककककककककककककककककक‍ २७४ “हाँ, यह तो ठीक है। अच्छा मातंग ! नीचे बैठ और मुझे विद्या सिखा"राजा ने कहा । मातंग राजा के सामने बैठ गया और राजा को विद्यामन्त्र पढ़ने लगा । परन्तु राजा का परिश्रम व्यर्थ रहा। उसे विद्य! आई ही नहीं । राजा चिढ़ कर बोला- "तू मायावी है | अपनी विद्या मुझ देना नहीं चाहता, इसलिए कुछ छुपा रहा है । इसी से मेरे हृदय में विद्या नहीं उतरती ।" 61 'नहीं महाराज! मैं विद्या छण कर दया करूँगा ? आप तो प्रजापालक हैं । आपके पास रही हुई विद्या सफल होगी और मेरे पास तो अब जीवन के साथ ही नष्ट होने वाली है" - मातंग बोला । अभयकुमार बोला- "देव ! विधिपूर्वक ग्रहण की हुई विद्या ही हृदय में स्थान पाती है । विद्यादाता तो गुरु के समान है और विद्यार्थी शिष्य है । शिष्य गुरु का विनय करके ही विद्या प्राप्त करता है। आप यदि इस मातंग को अपने सिंहासन पर आदरपूर्वक बिठावें और स्वयं नीचे बैठ कर विनयपूर्वक सीखें, तो विद्या प्राप्त हो सकेगी ।" राजा सिंहासन पर से नीचे उतरा और मातंग को आदरपूर्वक अपने राज्यासन पर बिठा कर उसके सम्मुख हाथ जोड़े हुए नीचे बैठा । इस बार मातंग की 'उता मिनी' और 'अवनामिनी' विद्या दोनों श्रेणिक नरेश को प्राप्त हो गई । अभयकुमार के निवेदन से विद्यागुरु का पद पाया हुआ मातंग, चोरी के दण्ड से मुक्त हो कर अपने घर लौट गया । दुर्गन्धा का पाप और उसका फल श्रमण भगवान् महावीर प्रभु राजगृह पधारे। महाराजा श्रेणिक भगवान् को वन्दन करने चले | नगर के बाहर, मार्ग के किट एक तत्काल की जन्मी बालिका पड़ी थी और उसके अंग से असह्य दुर्गन्ध निकल रही थी। राजा के साथ रहे हुए सेवक, दुगन्ध से बचने के लिए मुंह पर कपड़ा लगाये चल रहे थे। राजा ने दुर्गन्ध का कारण पूछा तो ज्ञात हुआ कि साजात परित्यक्ता बालिका की देह से गंध आ रही है । महाराजा ने अशूचि भावना का स्मरण कर मध्यस्थ भाव रखा। समवसरण में पहुँच कर भगवान् को वन्दना की और धर्मोपदेश सुनने के बाद पूछा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001917
Book TitleTirthankar Charitra Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1989
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size10 MB
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