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मातंग राजा का गुरु बना
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कहानी पूर्ण करते हुए महामन्त्री अभय कुमार ने सभाजनों से पूछा-" बन्धुओं ! इम कथा से मैं आपके विवेक का परिचय प्राप्त करना चाहता हूँ। कहिये, इस कहानी के पात्रों में सर्वश्रेष्ठ पात्र कौन है-उस नवपरिणिता का पति, चोर, राक्षस या उद्यानपालक ? किसका त्याग सब से बढ़कर है ?"
__अभयकुमार के प्रश्न के उत्तर में कुछ लोगों ने कहा-" सर्वोत्तम तो उस नवपरिपिता का पति है, जिससे अपनी चीर उत्कट अभिलाषा और कामावेग का शमन कर, उसे पर-पुरुष के पास जाने दिया। जिस सुशीला का वह पति है, वह परम श्रेष्ठ है । ऐसा पति भाग्यशालिनी को ही मिलता है।"
___ अभयकुमार समझ गए कि यह वर्ग स्त्रियों से संतुष्ट नहीं है। दूसरे वर्ग ने कहा"प्राप्त इच्छित भक्ष्य का त्याग करने वाला भूखा राक्षस श्रेष्ठ है।" अभय कुमार ने निष्कर्ष निकाला-"ये कंगाल लोग हैं । इन्हें इच्छित भोजन दुर्लभ होता है । तीसरे वर्ग ने कहा- सब से श्रेष्ठ तो वह उद्यानपालक है, जिसने प्राप्त उत्तमोत्तम एवं दुर्लभ सुन्दरी को बिना भोगे ही जाने दिया।" यह वर्ग पर-स्त्री-प्रिय जार लोगों का था।
___अन्त में एक व्यक्ति बोला-"क्या वे चोर सर्वश्रेष्ठ नहीं हैं जिन्होंने सरलता से प्रान लाखों रुपयों के रत्नाभरण का बात-की-बात में त्याग कर दिया ?" अभयकुमार ने समझ लिया कि इस सभा में एक यही चोर का पक्षकार है । बस यही चोर है। उसने उसे पकड़ लिया और पूछा
" बता, तेने राजोद्यान में से आम्रफलों की चोरी किस प्रकार की ?" मातंग को बताना पड़ा-" मैने विद्या के बल से आम चुराये।"
मातंग राजा का गुरु बना
अभयकुमार ने मातंग को ले जा कर राजा के सामने खड़ा किया और कहा ;"यही चोर है-आम्रफल का । इसी ने अपनी विद्या की शक्ति से फल तोड़े थे।"
श्रेणिक ने कहा-"ऐसे शक्तिशाली चोर बड़े दुःखदायक होते हैं । इसका वध करवाना चाहिए।"
___अभयकुमार बोला-" पहले इसके पास से विद्या ग्रहण करनी चाहिए । विद्या लेने के बाद अपराध के दण्ड का विचार उत्तम रहेगा।"
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