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शैलक - राजबि का प्रत्यावर्त्तन
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होते हुए उठे और दाँत पीसते हुए कड़क कर बोले;
"कौन है यह मृत्यु का इच्छुक
क्यों जगाया मुझे ?”
पथक अनगार ने शलक- राजर्षि को क्रोधित देखा। वे डर गए। उन्हें दुःख हुआ । हाथ जोड़ कर नम्रतापूर्वक बोले;
"गवन् ! मैं पंथक हूँ। मैंने कायोत्सर्ग कर के दैवसिक प्रतिक्रमण किया । अब चौमासिक प्रतिक्रमण करते हुए आपको वन्दना करने लगा। इससे आपके चरणों में मेरे मस्तक का स्पर्श हुआ और आपकी नींद खुल गई। सचमुच में आपका अपराधी हूँ । भगवन् ! आप मुझे क्षमा प्रदान करें। में फिर कभी ऐसा अपराध नहीं करूँगा । में आपसे बार-बार क्षमा चाहता हूँ
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शैलक राजर्षि ने पंथक मुनि की बात सुनी तो विचार में पड़ गए। वे सोचने लगे ;"अहो ! मैं कितना पतित हो गया हूँ । राज्य-वैभव और भोग-विलास छोड़ कर में त्यागी - निग्रंथ बना और मुक्ति साधने के लिए आराधना करने लगा। किन्तु में भटक गया, साधना से पतित हो कर विराधना करने लगा और फिर सुखशीलियापन में ही जीवन का अमूल्य समय नष्ट करने लगा । धिक्कार है मुझे "
दूसरे दिन उन्होंने मण्डुक राजा से पूछ कर और पीठफलकादि दे कर विहार कर दिया । शैलक-राजर्षि को शिथिलाचारी और कुशीलिया जान कर जो ४६६ साधु पृथक् विहार कर गए थे, उन्होंने जब यह सुना कि शैलकजी किथिलाचार छोड़ कर पुनः शुद्धाचारी हो गए हैं, तो उन सभी ने विचार किया और पुनः शैलक राजर्षि के पास आ कर उनको अधीनता में विचरने लगे। बहुत वर्षों तक संयम और तप की साधना करते हुए जब उन्होंने अपना आयु निकट जाना, तो वे सभी साधु यावच्चापुत्र अनगार के समान पांच सौ मुनियों के साथ पुण्डरीक पर्वत पर संथारा कर के सिद्ध हो गए ।
६४७ कुकुकुकुकुकुकर ቅቅቅቅቅቅቀን
टिप्पण- इस चरित्र से दो बातें विशेष स्पष्ट होती है । चोमासी प्रतिक्रमण में पहले दिवस सम्बन्धी हो और उसके बाद चोमासी का। जब बोमासी के दो प्रतिक्रमण किये जाते थे, तो सम्बत्सरी के भी दो करना अपने-आप सिद्ध हो जाता है। यह चरित्र श्र. अरिष्टनेमिनों के शासन काल का है। उन ऋजु प्राज्ञ साधकों के समय भी चातुर्मासिक (और साम्वत्सरिक) प्रतिक्रमण दो होते थे, तो वोरशासन में तो दो होना ही चाहिये । अतएव दो प्रतिक्रमण का पक्ष पानम प्रमाणित हैं और यह शेष दो चमसी में भी होना चाहिए।
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(२) शैलक राज कुशीलिये बन चुके थे। उनमें संब-रुचि नहीं रही की। वे संयम सम्बन्धी द्रव्य-क्रिया भी नहीं कर रहे थे और केवल देश से साधु रहे थे। उनका कुशीलियापन देख कर ही ४९९
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