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जरासंध का मरण और युद्ध समाप्त कककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककक
___ "ऐ मायावी ग्वाले ! तेने कापट्य-कला से मेरे जामाता कंस को मारा और मायाजाल में फंसा कर मेरे पुत्र कालकुमार को मार कर बच निकला । इस प्रकार छल-प्रपंच से ही तू अब तक जीवित रहा, परन्तु अब तेरी धूर्तता मेरे सामने नहीं चलने की। में आज तेरी धूर्तता तेरे जीवन के साथ ही समाप्त कर दूंगा और मेरी पुत्री की प्रतिज्ञा पूर्ण कर के उसे संतुष्ट करूंगा।"
श्रीकृष्ण ने कहा,--"अरे, वाचाल ! इतना घमण्ड क्यों करता है ? तेरी गर्वोक्ति अधिक देर टिकने वाली नहीं है। लगता है कि तू भी अपने जामाता और पुत्रों के पास आज ही चला जायगा और तेरी पुत्री भी अग्नि में प्रवेश कर काल-कवलित हो जायगी।"
श्रीकृष्ण के कटु वचनों से जरासंध विशेष क्रोधी बना और धाराप्रवाह बाण-वर्षा करने लगा। श्रीकृष्ण भी अपने भरपर कौशल से गर्जनापूर्वक शस्त्र-प्रहार करने लगे। दोनों महावीरों का घोर-युद्ध, सिंहनाद और शस्त्रों के आस्फालन से दिशाएँ कम्पायमान हो गई, समुद्र भी क्षुब्ध हो गया और पृथ्वी भी धूजने लग गई । कृष्ण, जरासंध के दिव्य अस्त्रों का अपने दिव्य-अस्त्र से और लोहास्त्रों को लोहास्त्र के प्रहार से नष्ट करने लगे। जब सभी अस्त्र समाप्त हो गए और जरासंध अपने शत्रु कृष्ण का कुछ भी नहीं बिगाड़ सका, तो उसने अपने अंतिम अस्त्र चक्र का स्मरण किया। स्मरण करते ही चक्र उपस्थित हुआ, जिसे हाथ में ले कर जोर से धुमाते हुए जरासंध ने कृष्ण पर फेंक-मारा। जब चक्र कृष्ण की
ओर बढ़ा, तो आकाश में रहे हए खेचर भी उसकी भयानकता से क्षुब्ध हो गए और यादवी-सेना भी भयभीत हो गई। उस चक्र को स्खलित करने के लिये कृष्ण, बलदेव, पाण्डवों और अन्य वीरों ने अपने-अपने शस्त्र छोड़े, परन्तु जिस प्रकार नदी के महा-प्रवाह को वृक्ष एवं पर्वत नहीं रोक सकते, उसी प्रकार चक्र भी नहीं रुका और कृष्ण के वक्षस्थल पर वेगपूर्वक जा लगा, तथा उन्हीं के पास रुक गया। उस चक्र को श्रीकृष्ण ने ग्रहण किया। उसी समय आकाश में रहे देवों ने पुष्प-वृष्टि करते हुए घोषणा की--"श्रीकृष्ण नौवें वासुदेव हैं।" श्रीकृष्ण ने अंतिम रूप से जरासंध को संबोधित करते हुए कहा;
__ "अरे मूर्ख ! तेरा महास्त्र चक्र मेरे पास आ गया, क्या यह भी मेरी माया है ? में अब भी तुझे एक अवसर देता हूँ। तू यहाँ से चला जा और अपना शेष जीवन शांतिपूर्वक व्यतीत कर।"
“अरे, वाचाल कृष्ण ! यह चक्र मेरा परिचित है। मैं इसके उपयोग को जानता हूँ। मुझे इससे कोई भय नहीं है । तू इसका उपयोग कर के देख ले । तुझसे इसका उपयोग नहीं हो सकेगा।"
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