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नाग का दमन और हाथियों का हनन
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यमुना में वे दोनों भ्राता स्नान कर ही रहे थे कि वहाँ रहने बाले कालीय नाग ने उन्हें देखा और क्रोधित हो कर उन्हें डसने के लिए उन पर झाटा। उसके फण में रही हुई मणि के प्रकाश से प्रभावित हो कर बलराम आश्वर्यान्वित हुए और सोचने लगे कि -- 'यह क्या है ?" वे किसी निश्चय पर पहुँचे उसके पूर्व ही कृष्ण ने झपट कर उसे इस प्रकार पकड़ लिया जैसे कोई कमलनाल को पकड़ता हो। इसके बाद उन्होंने एक कमलनाल लिया और उसके फग में बांध कर बैल के समान नाथ लिया । वे कठोर बन कर अकड़े हुए उस नाग पर चढ़ बेठे और यमुना में इधर-उधर फिराने लगे । नाग का क्रोध उतरा और भय चढ़-बैठा । वह थक कर हाँफने लगा । कृष्ण उसे छोड़ कर बाहर निकले । उस समय स्नान करने वाले ब्राह्मण और गोप आदि ने कृष्ण के पास आ कर उन्हें छाती से लगाया । बलराम और कृष्ण गोपजनों के साथ चल कर मथुरा आये । कंस ने नगर द्वार पर पद्मोउत्तर और चम्पक नाम के दो उन्मत्त गजराज खड़े कर दिये थे और हस्तिपालक को कृष्ण वे आने पर उन्हें कुचलने के लिए, उन पर हमला करने का आदेश दिया था । कृष्ण को देखते ही प्रेरित हाथी उन पर झपटा । कृष्ण सँभले । उन्होंने पद्मोत्तर हाथी की सूंड़ पकड़ी और दाँत खींच कर उखाड़ लिया तथा वज्र के समान मुष्टि प्रहार कर के उसे मार डाला । इसी प्रकार वलराम ने चम्पक हाथी को अनन्त निद्रा में सुला दिया। राज्य के मदोन्मत्त एव प्रचण्ड हाथियों का दो लड़कों से मारा जाना, एक अभूतपूर्व घटना थी। सारे नगर में हलचल मच गई। लोग दौड़-दौड़ कर घटनास्थल पर आने लगे और परस्पर कहने लगे-
" किसने मारा इन हाथियों को ? दो लड़कों ने ? क्या कहते हो ?"
दूसरा बोला--" किसी भारी अस्त्र से मारा होगा ? परन्तु मारने वाले कौन है ?"
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"गोकुल के नन्द अहीर के लड़के " - तीसरा बोला ।
-- " नन्द के पुत्रों ने मारा ? नहीं, नहीं, कोई और होंगे -- चौथा बोला । --" किस अस्त्र से मारा " - पांचवें का प्रश्न ।
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- "न अस्त्र, न शस्त्र । अपने भुज-बल से ही मार डाला " - - पहले का उत्तर | --" ऐसा कैसे हो सकता है" -- चौथे का पुनः प्रश्न ।
--" कैसे क्या हो सकता है, तुमने सुना नहीं ? उन लड़कों ने ही उन प्रचण्ड साँड और घोड़े आदि को मारा था । वे महाबली हैं। तुम अपनी आँखों से देख लो । देखो, वे
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