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" महाभाग ! मैने ईर्षाविश आपका अपशब्दों से अपमान किया । यह मेरी वज्रभूल थी । में आपका अपराधी हूँ । कृपया मेरा अपराध क्षमा करें ।”
नलकुमार ने विनम्र हो कर आये हुए कृष्णराज का सत्कार किया और मिष्ट शब्दों से संतुष्ट कर बिदा किया। भीमरथ नरेश, अपने जामता का प्रभाव देख कर अत्यंत प्रसन्न हुए और पुत्री के वर चयन की प्रशंसा करने लगे । उन्होंने स्वयंवर में आये हुए सभी नरेशों को सम्मानपूर्वक बिदा किया और विवाहोत्सव रचा कर दमयंती का नल के साथ लग्न कर दिया । निषध नरेश, पुत्र का विवाह कर राजधानी लौट रहे थे। वन में वृक्ष के नीचे ध्यानारूढ़ एक मुनिराज खड़े थे । नलकुमार की दृष्टि मुनिराज पर पड़ी। उन्होंने पिता से कहा-
तीर्थङ्कर चरित्र
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! उस वृक्ष 'पूज्य नीचे कोई महात्मा खड़े हैं, दर्शन-वन्दन करना चाहिए।" वाहन से उतर कर पिता-पुत्र मुनिराज के समीप आये । वन्दना की। कुमार ने देखा -- महात्मा के शरीर पर भ्रमरवृन्द मँडरा रहा है। कई भ्रमर उनके शरीर को डंक दे कर पीड़ित कर रहे थे । 'कदाचित् किसी मदान्ध गजराज ने अपने मदझरित गण्डस्थल को खुजालने के लिए महात्मा के शरीर से घर्षण किया हो ! उस घर्षण से गजराज का मद मुनिराज की देह से लिप्त हो गया हो और उसकी सुगन्ध से भौंरें उपद्रव कर रहे हो । महात्मा की उत्कट साधना देख कर निषधराज प्रभावित हुए। उनकी भक्ति बढ़ी। उन्होंने महात्म के शरीर को पोंछ कर साफ किया । भोरों का उपद्रव दूर कर वे आगे बढ़े। दमयंती -- युवराज्ञी का नगर प्रवेश धूमधाम पूर्वक हुआ । नल-दमयंती के दिन सुखभोग पूर्वक व्यतीत होने लगे ।
कुछ काल व्यतीत होने पर निषधराज ने युवराज नल का राज्याभिषेक और कुबर को युवराज पद देकर स्वयं मोक्ष-साधना में संलग्न हो गए । नल नरेश विधिवत् राज्य संचालन और प्रजा - रंजन में व्यस्त रहने लगे । बुद्धि और पराक्रम सम्पन्न तथा शत्रुता से रहित, नल नरेश का शासन निराबाध चलने लगा । उनके राज्य में वृद्धि हुई । उनका शासन आधे भरत क्षेत्र पर चलता था । राजधानी से दो सौ योजन दूर तक्षशिला नगरी थी । वहाँ का राजा कदंब, नल नरेश के शासन को स्वीकार नहीं करता था और डाह रखता हुआ उद्दण्डतापूर्ण व्यवहार करता था । नल नरेश ने अपना दूत तक्षशिला भेजा और अधीनता स्वीकार करने के लिए सूचना करवाई । कदम्ब को अपने बाहुबल का गर्व था । उसने नल नरेश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और युद्ध करने के लिए तत्पर हो गया । नल नरेश भी सेना ले कर तक्षशिला पहुँचे और नगरी को घेर लिया। दोनों
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