SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चक्रवर्ती हरिसेन तीर्थकर भगवान् नमिनाथजी की विद्यमानता में ही हरिसेन नाम के दसवें चक्रवर्ती सम्राट हुए। ___भ• अनन्तनाथजी के तीर्थ में नरपुर नगर के नराभिराम राजा थे। वे संयम की आराधना कर सनत्कुमार देवलोक में गए । पांचाल देश के काम्पिल्य नगर के इक्ष्वाकुवंशीय महाहरी नरेश की महिषी नामकी पटरानी की कुक्षि में नराभिराम देव का जीव उत्पन्न हुआ। माता को चौदह महास्वप्न आये । पुत्र जन्म हुआ । अनुक्रम से यथावसर आयुधशाला में चक्ररत्न प्रकट हुआ, क्रमानुसार अन्य रत्न भी प्राप्त हुए । छह खंड की साधना की और चक्रवर्ती सम्राट पद का अभिषेक हआ। अंत में संसार का त्याग कर चारित्र की आराराना की और समस्त कर्मों को क्षय करके मुक्ति प्राप्त की । वे ३२५ वर्ष कुमार अवस्था में, ३२५ वर्ष माण्डलिक राजापने, १५० वर्ष खण्ड साधना में ८८५० वर्ष चक्रवर्ती नरेशपने और ३५० व चारित्र-पर्याय पाली । उनकी कुल आयु १०००० वर्ष की थी। चक्रवर्ती जयसेन भ० नमिनाय के तीर्थ में ही जयसेन नाम के चक्रवर्ती हुए। इसी जंबूद्वीप के ऐरवत क्षेत्र में श्रीपुर नगर था । वसुन्धर राजा वहाँ राज करते थे। पद्मावती उनकी पटरानी थी। पटरानी की मृत्यु हो जाने से राजा विरक्त हो गया और अपने पुत्र विनयधर को राज्य दे कर स्वयं दीक्षित हो गया और चारित्र का पालन कर, मृत्यु पा कर सातवें देवलोक में देव हुआ। मगधदेश की राजगृही नगरी के विजय, राजा की वप्रा रानी की कुक्षि में वसुन्धर देव का जीव उत्पन्न हुमा । माता ने चौदह स्वप्न देखे । जन्म होने पर जयकुमार नाम दिया । राज्याधिकार प्राप्त हुआ। चौदह रत्न की प्राप्ति हुई । छह खंड की साधना की। चक्रवर्तीपन का अभिषेक हुआ। राज्य-सुख भोग कर प्रवजित हुए और चारित्र का पालन कर मुक्ति प्राप्त की । ३०० वर्ष कुमार अवस्था में, ३०० वर्ष मांडलिक राजा, १०० वर्ष दिग्विजय में, १६०० वर्ष चक्रवर्ती और ४०० वर्ष संयमी-जीवन । इस प्रकार कुल तीन हजार वर्ष की आयु भोग कर मुक्ति प्राप्त की। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001916
Book TitleTirthankar Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1988
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy