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________________ तीर्थकर चरित्र दृष्टि शत्रु-सेना पर पड़ी। माता की दृष्टि पड़ते ही शत्रुदल के अधिपतियों की मति पलटी। उन्हें अपनी अल्प शक्ति और मिथिलेश की प्रबल शक्ति का भान हुआ और भावी अनिष्ट की आशंका हई। उन्होंने तत्काल घेरा उठा लिया और मिथिलेश विजयसेनजी से सन्धिचर्चा की । शत्रु-दल झुक गया और मिथिलेश के सामने आ कर नमन किया। संकट टल गया और बिना लड़ाई के ही विजय प्राप्त हो गई । इस अनायास परिवर्तन को गर्भस्थ जीव का पुण्य-प्रभाव मान कर माता-पिता ने बालक का 'नमि कुमार' नाम दिया । क्रमश: यौवन अवस्था प्राप्त होने पर आपका राजकन्या के साथ लग्न हुआ। जन्म से ढाई हजार वर्ष व्यतीत होने के बाद पिता ने आपका राज्याभिषेक करके सार भार सौंप दिया । पाँच हजार वर्षतक राज करने के बाद आपने वर्षी-दान दिया और अपने सुप्रभ पुत्र को राज्य दे कर आषाढ़-कृष्णा वनमी को अश्विनी-नक्षत्र में, दिन के अंतिम पहर में, बेले के तप सहित, एक हजार राजाओं के साथ प्रव्रज्या स्वीकार की । प्रव्रज्या स्वीकार करते ही प्रभु को मनःपर्याय ज्ञान उत्पन्न हुआ। दूसरे दिन वीरपुर में नरेश के यहाँ आपका क्षीर से पारणा हुआ। आप ग्रामानुग्राम विचरने लगे। नौ मास के बाद आप पुनः दीक्षास्थल सहस्राम्रवन में पधारे और मोरसली के वृक्ष के नीचे बेले के तप के साथ ध्यानस्थ रहे । मार्गशीर्ष-शुक्ला एकादशी के दिन अश्विनी-नक्षत्र में घातीकर्मों को नष्ट कर केवलज्ञान-केवलदर्शन उत्पन्न किया । देवों ने समवसरण की रचना की । प्रभु ने धमपिदेश दिया। धर्म देशना श्रावक के कर्तव्य यह संसार असार है । धन-सम्पत्ति नदी की तरंग के समान चञ्चल है और शरीर विजली के चमत्कारवत् नाशवान् है। इसलिए बुद्धिमान और चतुर मनुष्यों का कर्तव्य है कि संसार, सम्पत्ति और शरीर, इन तीनों का विश्वास नहीं रख कर, मोक्षमार्ग की सर्वआराधना रूप यतिधर्म का पालन करे। यदि श्रमणधर्म स्वीकार करने जितनी शक्ति नहीं हो, तो उसकी अभिलाषा रखते हुए सम्यक्त्व सहित बारह प्रकार के श्रावक-धर्म का पालन करने के लिए तत्पर रहे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001916
Book TitleTirthankar Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1988
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size14 MB
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