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________________ भामण्डल का वैराग्य और मृत्यु - हनुमान का मोक्ष २३१ आदर्श बना । उन्होंने अपने में और श्रीधरादि लक्ष्मण-पुत्रों में भेद मानना ठीक नहीं समझा। जब उन्होंने अपनी मनोभावना व्यक्त की, तो श्रीधरादि पर भी उसका प्रभाव पड़ा । वे लवणांकुश के समीप आये और अपने दुष्कृत्य के लिए पश्चात्ताप किया। उन सभी ने संसार से विरक्त हो कर महाबल मुनि के पास प्रव्रज्या ले कर संयम-साधना में तत्पर हुए और लवण और अंकुश का उन राजकुमारियों के साथ लग्न हुआ। भामण्डल का वैराग्य और मृत्यू एक समय भामण्डल नरेश अपने भवन की छत पर बैठे थे। उनके मन में विचार उत्पन्न हुआ कि “मैने वैताढ्य पर्वत की दोनों श्रेणियों का राज्याधिकार और सुखोपभोग किया । अब संसार का त्याग कर के संयम-साधना करूँ और मानव-भव सफल करूँ"इस प्रकार चिन्तन कर रहे थे कि उसी समय उन पर आकाश में से बिजली पड़ी और वे मृत्यु पा कर देवकुरु क्षेत्र में युगलिक मनुष्य हुए । हनुमान का मोक्ष एक बार हनुमानजी मेरु पर्वत पर क्रीड़ा करने गये। संध्या का सुहावना समय था। वे प्राकृतिक दृश्य देख रहे थे कि अस्त होते हुए सूय पर उनके विचार अटके। वे सोचने लगे "संसार में उदय और अस्त चलता ही रहता है । आज जो उदय के शिखर पर चढ़ा हुआ, वही कालान्तर में अस्त के गहरे गड्ढे में गिर जाता है । जो आज राव है, वह रंक भी हो जाता है । विजेता, पराजित हो जाता है और जो जन्म लेता है, वह मरता ही है । यह संसार की रीति है। उदयभाव से जीव उत्थान और पतन के चक्कर में घुमता रहता है । वे भव्यात्माएँ धन्य हैं जो संसार से उदासीन हो कर संयम और तप से संसार का छेदन कर, शाश्वत शांति प्राप्त कर लेती है । मुझे भी अब सावधान हो कर इस उदय-अस्त के चक्कर को काट देना चाहिए।" इस प्रकार चिन्तन करते हुए हनुमान विरक्त हो गए। वे नगर में आये और पुत्र को राज्यभार सौंप कर आचार्य धर्मरत्नजी के पास निग्रंथ अनग.र बन गए। उनके साथ अन्य सात सौ पचास राजा भी दीक्षित हुए। उसकी रानियों ने महासती श्री लक्ष्मीवतीजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001916
Book TitleTirthankar Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1988
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Biography
File Size14 MB
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