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है । मैं स्वयं उन्हें यमधाम पहुँचा दूंगा ।”
इन्द्रजीत अपना पराक्रम बताता हुआ वानरसेना में घुसा। उसके पहुँचते ही भय के मारे वानर लोग, भाग कर इधर-उधर छिपने लगे । वानरों को भागते देख कर इन्द्रजीत बोला-
तीर्थंकर चरित्र
'
"ओ, वीर वानरों ! अब भागते क्यों हो ? खड़े रहो । में युद्ध नहीं करने वाले को नहीं मारता । में विश्वविजेता सम्राट रावण का पुत्र हूँ। में कायरों से नहीं, वीरों से लड़ने वाला हूँ । कहाँ है-वह घमण्डी सुग्रीव और हनुमान ? कहाँ है वे राम और लक्ष्मण ?" इन्द्रजीत की गर्वोक्ति सुनते ही वानरपति सुग्रीव नरेश आगे आये और इन्द्रजीत को ललकारा । उधर भामण्डल ने इन्द्रजीत के छोटे भाई मेघवाहन के साथ युद्ध ठाना । इन योद्धाओं के परस्पर आस्फालन तथा आघात - प्रत्याघातादि से पृथ्वी कम्पित होने लगी, पर्वत डोलने लगे और समुद्र क्षुभित हो गया । उनके अस्त्र प्रहार निरन्तर होने लगे । उन्होंने लोहास्त्रों और देवाधिष्ठित अस्त्रों से चिरकाल युद्ध किया, किन्तु इससे किसी को भी विजयश्री प्राप्त नहीं हुई । शत्रु को अजेय देख कर इन्द्रजीत और मेघवाहन ने क्रोधपूर्वक भामण्डल और सुग्रीव पर नागपाशास्त्र फेंका, जिससे दोनों वीर दृढ़ता पूर्वक बन्ध गए। उधर मूच्छित कुंभकर्ण भी सावधान हो गया था । उसने हनुमान पर गदा का भीषण प्रहार किया, जिससे हनुमान मूच्छित हो गए । कुंभकर्ण, मूच्छित हनुमान को अपनी बगल में दबा कर युद्धभुमि से निकलने लगा। इन वीरों को शत्रु द्वारा बद्ध देख कर विभीषण चिन्तित हुआ । उसने रामभद्रजी से कहा
'स्वामिन् ! हमारी सेना में ये सुग्रीव और भामण्डल महाबलवान् और प्रबल सेनापति हैं । इन्हें बन्धन - मुक्त करवाना अति आवश्यक है । शत्रु इन्हें लंका में ले जा क बन्दी बनाना चाहता है । आप मुझे आज्ञा दीजिए। मैं अभी उन्हें छुड़ा लाता हूँ । तथा कुंभकर्ण से हनुमान को भी छुड़ाना है । इन वीरों के बिना हमारी सेना, वीरविहीन हो जायगी । मुझे अविलम्ब आज्ञा दीजिए ।”
विभीषण इस प्रकार आज्ञा प्राप्त कर रहा था कि दूसरी ओर रणकुशल वीर अंगद, कुंभकर्ण पर झपटा। अंगद को अपने पर आक्रामक देख कर, कुंभकर्ण उधर मुड़ा। उसके हाथ उठते ही हनुमान मुक्त हो गए और उछल कर निकल गए। उधर विभीषण रथारूढ़ हो कर इन्द्रजीत और मेघवाहन की ओर दौड़े। पूज्य काका को अपनी ओर आता हुआ देख कर दोनों भाइयों ने सोचा--" काकाजी, पिताजी के समान हैं । इनके साथ युद्ध करना उचित नहीं । सुग्रीव और भामण्डल, नागपाश में जकड़े हुए मर जाएँगे"--इस
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