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म० अरनाथजी वीरभद्र का वत्तांत
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सुव्रताजी ने कहा 'प्रियदर्शना ! यह तुम्हारी धर्म-बहिन है । इसको धर्म साधना में साथ दो ।'
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उधर वीरभद्र भी समुद्र में लहरों के साथ बहता हुआ एक पटिये को पकड़ कर अथड़ाता रहा । इस प्रकार बहते हुए, उसे रतिवल्लभ नाम के विद्याधर ने देखा और समुद्र से निकाल कर अपने आवास में ले गया । उस विद्याधर के पुत्र नहीं था, केवल एक पुत्री ही थी । उसका नाम रत्नप्रभा था । वीरभद्र को अनंगसुन्दरी की चिन्ता सता रही थी । उसने विद्याधर को अपना वृत्तांत सुनाया । विद्याधर ने 'आभोगिनी' विद्या के बल से जान कर कहा—“ अनंगसुन्दरी तुम्हारी पूर्व पत्नी प्रियदर्शना के साथ पद्मिनीखंड में, सुनताजी के उपाश्रय में रह कर धर्म क्रिया कर रही है।" यह सुन कर वीरभद्र प्रसन्न हुआ । विद्याधर ने वीरभद्र को उपयुक्त वर जान कर अपनी पुत्री रत्नप्रभा का पाणिग्रहण कराया । यहाँ वीरभद्र, 'बुद्धदास' के नाम से प्रसिद्ध हुआ । कुछ का वहाँ रहने के बाद दक्षिणभरत देखने के बहाने, रत्नप्रभा को साथ ले कर आकाश आया । रत्नप्रभा को उपाश्रय के बाहर बिठा दिया और बोलासे मुक्त हो कर आता हूँ। तुम यहीं बैठना ।"
मार्ग से पद्मिनीखंड नगर में ' में अभी देहचिन्ता
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वीरभद्र वहाँ से चल कर एक गली में छुप गया और चुपके से देखने लगा । बड़ी देर तक प्रतीक्षा करने पर भी जब वीरभद्र नहीं आया, रत्नप्रभा घबड़ा गई । ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, त्यों-त्यों उसकी धीरज कम होती गई और अनिष्ट की आशंका ने उसे रुला दिया । उसका रुदन सुन कर एक साध्वी बाहर आई और उसे सान्त्वना दे कर उपाश्रय के भीतर ले गई । रत्नप्रभा उपाश्रय में गई, तब तक वीरभद्र उसे गुप्त रह कर देखता रहा । फिर वह निश्चित हो कर चला गया और अपना वामन रूप बना कर जादूगरी करता हुआ नगर में घूमने लगा। उसकी कला ने नगरभर को मोह लिया । वहाँ के नरेश ईशानचन्द्र भी उसकी कला पर मुग्ध हो गया ।
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उपाश्रय में पहुँचने के बाद अनंगसुन्दरी और प्रियदर्शना ने रत्नप्रभा को देखा । उसका वृत्तांत सुनने के बाद उन्होंने रत्नप्रभा से उसके पति का वर्ण आदि पूछा । रत्नप्रभा ने कहा- " वे सिंहलद्वीप के निवासी, गौर वर्ण समस्त कलाओं में पारंगत और कामदेव के समान रूप वाले मेरे पति हैं। उनका नाम 'बुद्धदासजी हैं ।" यह सुन कर प्रियदर्शना बोली- - "नाम और सिंहलद्वीप निवास के अतिरिक्त अन्य सभी बातें मेरे पति से, पूर्ण रूप से मिलती है ।" अनंगसुन्दरी ने भी कहा - " मेरे पति के साथ भी नाम और वर्ण के
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