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तीर्थकर चरित्र
उपदेश को हृदयंगम कर के अखण्ड धैर्य धारण करना वाहिए । आपके पुत्र जो देशाटन करने गये थे, वे सभी मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। उनके साथ रहे हुए सेनापति, सामन्त आदि शोक संतप्त दशा में आये हैं। आपने जो उपदेश मुझे दिया, उसका स्वयं भी पालन करें और शोकमग्न परिवार को भी धीरज बँधावें ।"
ब्राह्मण की बात पूरी हं ते ही वे सेनापति आदि जो कुमारों के साथ गये थे, अश्रुपात करते हुए सभा में आये और राजा को प्रणाम कर नीचा मुख कर के बैठ गए।
ब्राह्मण की बात सुन कर और कुमार के साथ गये हुए सेनापति आदि को अश्रुपात करते हुए, बिना पुत्रों के ही आया हुआ देख कर, नरेन्द्र जड़वत् स्तंभित रह गए। उनके नेत्र स्थिर हो गए और वे मूच्छित हो गए। कुछ समय बाद स्वस्थ होने पर ब्राह्मण ने कहा;
"राजन् ! आप उन विश्ववंद्य महापुरुष भगवान् आदिनाथजी के वंशज और भगवान् अजितनाथजी के भाई हैं, जिन्होंने विश्व की मोह-निद्रा का नाश किया है । एक साधारण मनुष्य के समान आपको मोहाधीन हो कर शोक करना शोभा नहीं देता। इस समय की आपकी दशा, उन महापुरुषों और उस कुल के लिए अशोभनीय है।'
नरेश, ब्राह्मण की बात सुन कर विचार में पड़ गए। वे समझ गए कि ब्राह्मण अपने पुत्र की मृत्यु के बहाने मुझे मेरे पुत्रों की मुत्यु का सन्देश देने आया है । जब राजा को कुमारों के मृत्यु का कारण बताया गया, तो वे विशेष आकन्द करने लगे। उनके शोक का पार नहीं रहा । राजा के हृदय में शान्ति उत्पन्न करने के लिए ब्राह्मण ने फिर कहा; -
"नरेन्द्र ! आपको पृथ्वी का ही राज्य नहीं मिला है, वरन् प्रबोध का आध्यात्मिक अधिकार भी प्राप्त हुआ है--वंशानुगत मिला है । आप दूसरों को बोध देने योग्य हैं, फिर आपको दूसरा कोई उपदेश दे, यह उलटी बात है। मोहनिद्रा का समूल नाश करने वाले ऐसे भगवान अजितनाथ के भाई को दूसरे बोध दें, क्या यह लज्जा की बात नहीं है ?"
ब्रह्मण की बात सुन कर राजा को कुछ धैर्य बँधा । किन्तु मोह भी महाप्रबल था। वह रह-रह कर उमड़ आता और ज्ञान को दबा देता था। यह देख कर 'सुबुद्धि' नाम के प्रधान मन्त्री ने निवेदन किया;--
“महाराज ! समुद्र मर्यादा नहीं छोड़ता, कुलपर्वत कम्पायमान नहीं होते और पृथ्वी चपल नहीं बनती। यदि कभी समुद्र, पर्वत और पृथ्वी भी मर्यादा छोड़ दे, तो भी आप जैसे महानुभाव को तो दुःख प्राप्त होने पर भी अपना संतुलन नहीं खोना चाहिए । संसार की तो लीला ही विचित्र है। क्षणभर पहले जिसे सुखपूर्वक विचरण करते देखते हैं,
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