SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 383
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचसंग्रह : १० विशेषार्थ-मनुष्य और तिर्यंच दो प्रकार के हैं—संख्यात वर्षायुष्क और असंख्यात वर्षायुष्क। इनमें से संख्यात वर्षायुष्क वाले तिर्यंच और मनुष्यों के लिये तो जैसा पहले गुणस्थानों में बंध प्रकृतियों का कथन किया है, तदनुरूप ही जानना चाहिये लेकिन असंख्यात वर्षायुष्कों विषयक विशेष का यहाँ उल्लेख करते हैं असंख्यात वर्ष की आयु वाले पर्याप्त मनुष्य और तिर्यच देवायु का बंध करते हैं, अन्य किसी भी आयु को नहीं बांधते हैं तथा अपर्याप्त-अपर्याप्तावस्था में वर्तमान मनुष्य और तिर्यंच तीर्थंकर, आतप, उद्योत, नरकत्रिक, तिर्यंचत्रिक, विकलत्रिक, एकेन्द्रियजाति, आहारकद्विक, स्थावरचतुष्क, देव-मनुष्यायु कुल मिलाकर इक्कीस प्रकृतियों का बंध नहीं करते हैं। तथा पज्जतिगया दुभगतिगणीयमपसत्थविहनपुसाणं । संघयणउरलमणुदुगपणसंठाणाण अबन्धा ॥१५२॥ शब्दार्थ- पज्जतिगया–पर्याप्त, दुभगतिग-दुभंगत्रिक, गोयं-नीचगोत्र, अपसत्थविह-अप्रशस्त विहायोगति, नसाणं-नपुंसक वेद का, संघयण-सहनन नाम, उरल-औदारिकद्विक, मणुदुग- मनुष्यद्विक, पणसंठाणाण-पाँच संस्थान के, अबंधा-अबंधक हैं। गाथार्थ-सभी पर्याप्तियों से पर्याप्त युगलिक दुर्भगत्रिक, नीचगोत्र, अप्रशस्त विहायोगति, नपुसकवेद, संहनन नाम, औदारिकद्विक, मनुष्यद्विक, अन्तिम पाँच संस्थान के अबंधक हैं। विशेषार्थ-समस्त पर्याप्तियों से पर्याप्त असंख्यात वर्ष की आयु वाले मनुष्य अथवा तिर्यंच दुर्भगत्रिक-दुर्भग, अनादेय, अयशःकीति, नीचगोत्र, अप्रशस्त विहायोगति, नपुसकवेद, छह संहनन, औदारिकशरीर, औदारिक-अंगोपांग, मनुष्यगति, मनुष्यानुपूर्वी, समचतुरस्र संस्थान के बिना शेष पाँच संस्थान, इस प्रकार इक्कीस प्रकृति तथा पूर्वगाथा में कही देवायु के बिना शेष बीस प्रकृति कुल इकतालीस प्रकृतियों का बंध नहीं करते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001907
Book TitlePanchsangraha Part 10
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages572
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy