SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 210
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्ततिका - प्ररूपणा अधिकार : गाथा ८४ १६७ भी वही आठ भंग होते हैं । अथवा शरीरपर्याप्ति से पर्याप्त को उच्छ्वास का उदय होने से पहले किसी को उद्योत का उदय' होता है । जिससे उसको मिलाने पर अट्ठाईस प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यहाँ भी आठ भंग होते हैं और सब मिलाकर अट्ठाईस प्रकृतिक उदयस्थान के सोलह भंग होते हैं । तत्पश्चात् भाषापर्याप्ति से पर्याप्त के सुस्वर का उदय मिलाने पर उनतीस प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यहां भी आठ भंग होते हैं । अथवा प्राणापानपर्याप्ति से पर्याप्त को स्वर का उदय होने के पूर्व उद्योत का उदय होने से भी उनतीस प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यहां भी वही आठ भंग होते हैं और सब मिलाकर उनतीस प्रकृतिक उदयस्थान के सोलह भंग होते हैं । तदनन्तर भाषापर्याप्ति से पर्याप्त के सुस्वरयुक्त उनतीस प्रकृतिक उदयस्थान में उद्योतनाम का उदय मिलाने पर तीस प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यहाँ पर भी वही आठ भंग होते हैं और सब मिलाकर देवों के छह उदयस्थानों के चौंसठ (६४) भंग होते हैं । इस प्रकार देव सम्बन्धी उदयस्थानों का कथन जानना चाहिए । अब नारकों के उदयस्थानों का निरूपण करते हैं पूर्व में जो विकलेन्द्रियों के इक्कीस प्रकृतिक आदि छह उदयस्थान कहे हैं, वही सब संहनन और उद्योत के उदय बिना के नारकों के होते हैं । नारकों में हड्डियों का अभाव होने से संहनन नामकर्म का उदय नहीं होता है एवं अत्यन्त पाप के उदयवाले होने से उद्योत का भी १ यहां यह ध्यान में रखना चाहिये कि देवों के अपर्याप्तावस्था में उद्योत का उदय नहीं होता है । किन्तु पर्याप्तावस्था में उत्तरवैक्रिय शरीर करने पर शरीरपर्याप्ति पूर्ण होने के बाद उद्योत का उदय हो सकता है । २ देवों के दुःस्वर का उदय नहीं होता है, जिससे तत्सम्बन्धी विकल्प नहीं होते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001907
Book TitlePanchsangraha Part 10
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages572
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy