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________________ पंचसंग्रह : १० आतप का, किसी को उद्योत का उदय हो सकता है । यहाँ उद्योत के उदय युक्त छब्बीस प्रकृतियों के उदय के चार और आतप के उदय युक्त छब्बीस प्रकृतियों के उदय के दो भंग, कुल मिलाकर छह विकल्प होते हैं । जो इस प्रकार १. बादर-प्रत्येक-उद्योत-यश:कीति, २. बादर-प्रत्येक-उद्योत-अयश: कीर्ति ३. बादर-साधारण-उद्योत-यशःकीर्ति, ४. बादर-साधारणउद्योत-अयशःकीर्ति, ५. बादर-प्रत्येक-आतप-यश:कीर्ति और ६. बादर-प्रत्येक-आतप-अयशःकीर्ति । उद्योत का उदय बादर प्रत्येक या साधारण को होता है, सूक्ष्म को नहीं होता है और आतप का उदय बादर-प्रत्येक को ही होता है। जिससे अनुक्रम से चार और दो ही विकल्प हो सकते हैं। बादर वायुकायिक को वैक्रिय शरीर करने पर प्राणापानपर्याप्ति से पर्याप्त को पच्चीस प्रकृतियों के उदय में उच्छ्वास का उदय मिलाने पर छब्बीस प्रकृतिक उदयस्थान होता है। यहाँ पूर्ववत् एक ही भंग होता है । तेज और वायुकायिक जीवों के आतप, उद्योत और यशःकीर्ति का उदय नहीं होता है जिससे तदाश्रित विकल्प भी नहीं होते हैं। सब मिलाकर छब्बीस प्रकृतिक उदयस्थान के तेरह विकल्प होते हैं । तथा प्राणापानपर्याप्ति से उच्छ्वास के उदय सहित छब्बीस प्रकृति के उदय में आतप या उद्योत का उदय मिलाने पर सत्ताईस प्रकृतिक उदयस्थान होता है । यहाँ उद्योत या आतप के उदययुक्त छब्बीस प्रकृतिक उदयस्थान में जैसे पहले छह भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भी छह भंग होते हैं। इस प्रकार से एकेन्द्रिय के पाँच उदयस्थान जानना चाहिये और उन उदयस्थानों के कुल मिलाकर बयालीस भंग होते हैं । तथा परघायसासआयबजुत्ता पणछक्कसत्तवीसा सा। संघयणअंगजुत्ता चउवीस छवीस मणुतिरिए ॥१॥ www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.001907
Book TitlePanchsangraha Part 10
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages572
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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