SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 193
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५० पचसंग्रह : १० मनुष्यों के, पत्त-प्रत्येकनाम, उवघाय-उपघात, सरीर--(औदारिक) शरीर, हुण्डसहिया-हुण्डसंस्थान सहित, उ-और, चउवीसा-चौबीस । गाथार्थ-पूर्वोक्त वे (इक्कीस) प्रकृति आनुपूर्वी के बिना बीस होती हैं और उनका उदय अपर्याप्त एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रियादि तिर्यंचों और मनुष्यों के होता है । उनमें प्रत्येक, उपघात, औदारिक शरीर और हुण्डसंस्थान को मिलाने पर चौबीस प्रकृति होती हैं । (जिनका उदय शरीरस्थ को होता है।) विशेषार्थ-एक भव से भवान्तर में जाने पर जो इक्कीस प्रकृतियों का उदय बताया है, उनमें से आनुपूर्वी को कम करने पर बीस प्रकृतियों का उदय अपर्याप्त (पर्याप्त) एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रियादि तिर्यचों और मनुष्यों को अवश्य होता है । बीस में से एक भी प्रकृति कम नहीं होती है और आनुपूर्वी नाम को कम करने का कारण यह है कि उसका उदय भवान्तर में जाने पर विग्रहगति में ही होता है एवं भवान्तर में जाने पर इक्कीस प्रकृतिक उदयस्थान पहले कहा जा चुका है। अब उत्पत्ति स्थान में उत्पन्न होने पर जितनी प्रकृतियों का उदय होता है, उसको बतलाते हैं-इक्कीस प्रकृतियों में से आनुपूर्वी को कम करके उनमें प्रत्येक, उपघात, औदारिक शरीरनाम और हुण्डसंस्थान इन चार प्रकृतियों को मिलाने से चौबीस प्रकृतिक उदयस्थान होता है। उसका उदय शरीरस्थ को-उत्पत्ति स्थान में उत्पन्न हुए को-होता है। इन चौबीस में साधारणनाम का भी उदय संभव है। जिससे प्रत्येकनाम के स्थान पर उसे विकल्प से मिलाने पर दस भंग होते हैं । जो इस प्रकार जानना चाहिये १. बादर-पर्याप्त-प्रत्येक-यशःकीति, २. बादर-पर्याप्त-प्रत्येक-अयशः कीति, ३. बादर-पर्याप्त-साधारण-यश:कीति, ४. बादर-पर्याप्त-साधारण-अयशःकीर्ति, ५. बादर-अपर्याप्त-प्रत्येक-अयशःकीति, ६. बादरअपर्याप्त-साधारण-अयशःकीर्ति, ७. सूक्ष्म-पर्याप्त-प्रत्येक-अयश:कीर्ति, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001907
Book TitlePanchsangraha Part 10
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages572
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy