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१०८
गाथा ७५
१००-१०१ अश्वकर्णकरणाद्धा में करणीय
१०० गाथा ७६
१०१-१०२ किट्टियों का स्वरूप
- १०२ गाथा ७७,७८,७६
१०२-१०७ किट्टियों संबन्धी पूर्वोक्त कथन का विशेष स्पष्टीकरण
१०३ किट्टियों के रस और प्रदेश का अल्पबहुत्व
१०६ गाथा ८०
___ १०७-१०८ संज्वलन लोभ की पतद्ग्रहता न रहने पर शेष लोभद्वय
का स्वस्थान में उपशमन गाथा ८१,८२,८३
१०८-११३ - किट्टिकरणाद्धा के चरम समय में संभव कार्य
१०६ गाथा ८४,८५
। ११३---११७ उपशांतमोहगुणस्थान का स्वरूप
११४ उपशांतमोहगुणस्थान से पतन का क्रम गाथा ८६,८७,८८,८६,६०,६१,६२,६३
११८-१२६ पतनोन्मुखी उपशांतमोही की दल रचना आदि का स्पष्टीकरण
११८ गाथा ६४
१२६-१२७ __स्त्री-नपुसक वेदोदयापेक्षा उपशमश्रेणि विधि गाथा ६५,६६
१२८-१२६ - देशोपशमना का स्वरूप, स्वामी
१२६ गाथा ६७
१२६-१३० देशोपशमना स्वामित्व विषयक विशेष
१३० गाथा ६८
१३१-१३२ सादि-अनादि प्ररूपणा
१३१ Jain Education International
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