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________________ ( २७ ) गाथा ६६ १५६-१६३ विध्यातसंक्रम का लक्षण १५६ विध्यातसंक्रम योग्य प्रकृतियाँ १६० विध्यातसंक्रम योग्य प्रकृतियों का दलिक प्रमाण विध्यातसंक्रम योग्य प्रकृतियों का स्वामित्व एवं प्रत्यय का प्रारूप १६२ गाथा ७० १६३-१६४ उद्वलना संक्रम का लक्षण एवं स्पष्टीकरण गाथा ७१ १६५-१६७ स्थिति खंडों के संक्रम के विषय में विशेष कथन गाथा ७२ १६७-१७० द्विचरमस्थिति खंड के संक्रम का स्पष्टीकरण गाथा ७३ १७१-१७२ चरम खंड के निर्मूल होने का समय प्रमाण १७१ गाथा ७४, ७५ १७३-१७६ उद्वलना संक्रम के स्वामी १७३ गाथा ७६ १७६-१७६ यथाप्रवृत्त संक्रम का लक्षण एवं सम्बन्धित स्पष्टीकरण १७६ गाथा ७७ १७६-१८१ गुणसंक्रम का लक्षण गाथा ७८ सर्वसंक्रम का लक्षण एवं संबन्धित स्पष्टीकरण १८२ गाथा ७६ १८३-१८४ परस्पर बाधक संक्रम सम्बन्धी स्पष्टीकरण १८३ गाथा ८० १८५-१८६ स्तिबुक संक्रम का लक्षण एवं तद्योग्य प्रकृतियां गाथा ८१ १८७-१८६ विध्यात आदि संक्रमों के अपहार काल का अल्पबहुत्व १८७ १७६ १८२ १८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001904
Book TitlePanchsangraha Part 07
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages398
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size18 MB
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