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पंचसंग्रह : ५
काल आवलिका के असंख्यातवें भाग प्रमाण शेष रहने पर परभव की आयु का बंध नियम से हो जाता है
पुन्वाणं कोडितिभागादा संखेय अद्धवोत्ति हवे ।' अर्थात् आयुकर्म की अबाधा कोटिपूर्व के तीसरे भाग से लेकर असंक्षेपाद्धा प्रमाण यानि जिससे थोड़ा काल और कोई नहीं ऐसे आवलिका के असंख्यातवें भाग प्रमाण तक है।
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१ गो. कर्मकाण्ड गा. १५८ ।
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