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पंचसंग्रह भाग ५ : परिशिष्ट ३
छठे गुणस्थान में अट्ठाईस भूयस्कार होते हैं। क्योंकि नौ का बंध करके तेरह का बंध करने पर २x२=४, सत्रह का बंध करने पर २x२-४, इक्कीस का बंध करने पर २४४=८ और बाईस का बंध करने पर २४६ = १२, इस प्रकार ४ -- ४ -- ८ + १२==२८ भंग होते हैं । ___ सातवें गुणस्थान में दो भूयस्कार होते हैं। क्योंकि सातवें में एक भंग सहित नौ का बंध कर मरण होने पर दो भंग सहित सत्रह का बंध होता है । ___ आठवें गुणस्थान में भी सातवें गुणस्थान के समान दो भूयस्कार होते हैं ।
नौवें गुणस्थान में पांच, चार आदि पांच बंधस्थानों में से प्रत्येक के तीनतीन भूयस्कार होते हैं। एक-एक पतन की अपेक्षा और दो-दो मरण की अपेक्षा से । जिनका कुल जोड़ पन्द्रह है।
इस प्रकार पूर्वोक्त गुणस्थान सम्बन्धी भंगों को मिलाने से (२४ । १२ + २०+२४ -1. २८-1-२-२+१५=१२७) एक सौ सत्ताईस भूयस्कारबंध होते हैं।
पैंतालीस अल्पतरबंध इस प्रकार हैं—पहले गुणस्थान में तीस अल्पतर बंध होते हैं । क्योंकि बाईस को बांधकर सत्रह का बंध करने पर ६ x २ = १२, तेरह का बंध करने पर ६ x २= १२ और नौ का बंध करने पर ६४१ = ६, इस प्रकार १२+ १२ + ६ =३० भंग होते हैं।
दूसरे गुणस्थान में एक भी अल्पतरबंध नहीं होता है। क्योंकि दूसरे के बाद पहला हो गुणस्थान होता है और उस स्थिति में इक्कीस का बंध करके बाईस का बंध करता है, जो भूयस्कारबंध रूप है ।
तीसरे गुणस्थान में भी कोई अल्पतरबंध नहीं होता। क्योंकि तीसरे से पहले गुणस्थान में आने पर भूयस्कारबंध और चौथे गुणस्थान में जाने पर अवस्थित बंध होता है । इसका कारण यह है कि तीसरे गुणस्थान में भी सत्रह और चौथे गुणस्थान में भी सत्रह प्रकृतियों का बंध होता है ।
चतुर्थ गुणस्थान में छह अल्पतर होते हैं। क्योंकि सत्रह का बंध करके तेरह का बंध करने पर २x२=४ और नौ का बंध करने पर २४१=२,
इस प्रकार ४+२=६ अल्पतर होते हैं । Jain Education International
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