SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 504
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बंधविधि-प्ररूपणा अधिकार : गाथा १६३ ४४३ सुखपूर्वक अपनी आयु का भोग करने वाले ऐसे जीव को उक्त दो आयु की उत्कृष्ट प्रदेशसत्ता होती है। क्योंकि अन्तमुहर्त प्रमाण भोगे जाने से उसकी उस समय भोगी जा रही अपनी आयु कुछ न्यून दल वाली है और समानजातीय परभव की आयु पूर्ण दल वाली है। इसलिये मनुष्य के मनुष्यायु की और तिर्यंच के तिर्यंचायु की उत्कृष्ट प्रदेशसत्ता होती है तथा बन्ध के अंत समय में भुज्यमान आयु की अपवर्तना होती है और अपवर्तना होने का मतलब यह हुआ कि शीघ्रता से आयु के दलिक भोग लिये जाते हैं, जिससे उत्कृष्ट प्रदेशसत्ता प्राप्त नहीं होती है । तथापूरित्त पुव्वकोडीपुहुत्त नारयदुगस्स बंधते । एवं पलियतिगंते सुरदुगवेउव्वियदुगाणं ॥१६३॥ शब्दार्थ-पूरित्त -पूरकर, पुष्व कोडोपुहुत्त-पूर्वकोटिपृथक्त्व, नारयदुगस्स-नरकद्विक को; बंधते-बंध के अन्त समय में, एवं-इसी प्रकार, पलियतिगंते-तीन पल्योपम के अन्त में, सुरदुग-देवद्विक, वेउवियदुगाणंवैक्रियद्विक की। गाथार्थ –पूर्वकोटिपृथक्त्व पर्यत बन्ध द्वारा पूरकर नरकाभिमुख जीव के बन्ध के अंत में नरकद्विक की उत्कृष्ट प्रदेशसत्ता होती है। इसी प्रकार तीन पल्योपम पर्यन्त बांधकर अंत में देवद्विक और वैक्रियद्विक की उत्कृष्ट प्रदेशसत्ता होती है। विशेषार्थ-गाथा में वैक्रियषट्क की उत्कृष्ट प्रदेशसत्ता के स्वामियों का निर्देश किया है। जिसका स्पष्टीकरण इस प्रकार है पूर्वकोटिपृथक्त्व समय प्रमाण संक्लिष्ट अध्यवसाय द्वारा नरकगति, नरकानुपूर्वी रूप नरकद्विक को बारंबार बन्ध द्वारा पुष्ट करके नरक में जाने के सन्मुख हुआ जीव बन्ध के अंत समय में नरकद्विक की उत्कृष्ट प्रदेशसत्ता का स्वामी है। __इसी प्रकार पूर्वकोटिपृथक्त्व वर्ष पर्यन्त संख्यात वर्ष की आयु वालों में और तीन पल्योपम पर्यन्त भोगभूमिजों-युगलियों में विशुद्ध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001902
Book TitlePanchsangraha Part 05
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages616
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy