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उत्कृष्ट तथा तैजस आदि नामकर्म की ध्र वबंधिनी प्रकृतियों के जघन्य प्रदेश बंध स्वामित्व का विशेष स्पष्टीकरण
उत्कृष्ट व जघन्य प्रदेश बंध स्वामित्व दर्शक प्रारूप ३१३ गाथा १३
३१७-३१८ तिर्यंचद्विक, नीचगोत्र और आयु चतुष्क का जघन्य उत्कृष्ट निरन्तर बंध काल
३१८ गाथा ६४
३१६-३२१ सातावेदनीय, औदारिक शरीर, पराघात, उच्छवास, त्रसचतुष्क, पंचेन्द्रियजातिनाम का निरंतर बंध
काल
३१६
गाथा ६५
३२२-३२४ समचतुरस्र संस्थान, उच्चगोत्र, प्रशस्त विहायोगति, पुरुषवेद, सुस्वरत्रिक, मनुष्यद्विक, औदारिक अंगोपांग, वज्रऋषभनाराच संहनन, तीर्थंकरनाम का निरंतर बंधकाल
३२२ गाथा ६६
३२५-३२६ पूर्वोक्त से शेष प्रकृतियों का निरंतर बंधकाल
३२५ प्रकृतियों का उत्कृष्ट जघन्य निरंतर बंध काल दर्शक प्रारूप
३२७ गाथा ६७
३२६-३३१ प्रकृतियों के उदय के प्रकार
३२६
३३१-३३२ उदय के भेद गाथा ६६, १००
३३३-३३६ विशेष उदयवती प्रकृतियों के नाम
गाथा ६८
३३१
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