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________________ ३६५ बंधविधि-प्ररूपणा अधिकार : गाथा १११ प्रस्तुत में लघुक्षपणा के लिये उद्यत हुए गुणितकर्माश जीव को ग्रहण करने का कारण यह है कि क्षपणा दो प्रकार की है-लघुक्षपणा और चिरक्षपणा । इनमें से सातमास अधिक आठ वर्ष की अवस्था का कोई भव्य जीव संयम को स्वीकार करे और संयम स्वीकार करने के बाद अन्तमुहूर्त काल में ही क्षपकश्रेणि आरम्भ करे तो उसको होने वाले कर्मक्षय को लघुक्षपणा कहते हैं और जो सुदीर्धकाल में संयम को प्राप्त करने के अनन्तर बहुत-सा काल जाने के बाद क्षपकश्रोणि आरम्भ करे और उसके जो कर्मक्षय हो, वह चिरक्षपणा कहलाती है। इस चिरक्षपणा वाले के तो उदय, उदीरणा द्वारा अधिक पुद्गलों का क्षय होता है, अल्प ही शेष रहते हैं, जिससे चिरक्षपणा द्वारा उत्कृष्ट प्रदेशोदय संभव नहीं है। इसीलिये बताया है कि लघुक्षपणा द्वारा क्षय करने के लिये उद्यत के उत्कृष्ट प्रदेशोदय होता है । जो जीव कम-से-कम जितने समय में (आयु में) चारित्र प्राप्त हो उतने काल में चारित्र प्राप्त कर तत्पश्चात् अन्तमुहर्तकाल में ही क्षपकश्रोणि आरम्भ करे तो उसे उदय, उदीरणा द्वारा अधिक कर्मपुद्गलों को कम करने का समय नहीं मिल पाता है, जिससे सत्ता में अधिक कर्मपुद्गल होते हैं । गुणितकाँश जीव के उस प्रकृति के उदय के चरम समय में उत्कृष्ट प्रदेशोदय होता है। अब उक्त दृष्टि के अनुसार जिन प्रकृतियों का जहाँ उत्कृष्ट प्रदेशोदय होता है, उसका निर्देश करते हैं-- . क्षीणमोहगुणस्थान में जिन प्रकृतियों का उदयविच्छेद होता है, ऐसी ज्ञानावरणपंचक, अंतरायपंचक और दर्शनावरणचतुष्क इन चौदह प्रकृतियों का लघुक्षपणा द्वारा क्षय के लिये उद्यत हुये गुणश्रेणिशीर्ष पर वर्तमान गुणितकर्माश क्षपक जीव के क्षीणमोहगुणस्थान के चरम समय में उत्कृष्ट प्रदेशोदय होता है। लेकिन अवधिद्विक-अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरण के उत्कृष्ट प्रदेशोदय के लिये इतना विशेष जानना चाहिये कि जिसे अवधिज्ञान और अवधिदर्शन उत्पन्न नहीं हुआ, उसे होता है । इसका कारण यह है कि अवधिज्ञान को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001902
Book TitlePanchsangraha Part 05
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages616
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
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