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बंधक-प्ररूपणा अधिकार : गाथा ८०
उनसे अप्रमत्तयति संख्यातगुणे हैं, क्योंकि वे दो हजार करोड प्रमाण हो सकते हैं।
उनसे प्रमत्तविरत जीव संख्यातगुणे हैं। क्योंकि वे कोटिसहस्रपृथक्त्व होते हैं।
उनसे भी देशविरत असंख्यातगुणे हैं और उनके असंख्यातगुणे होने का कारण असंख्यात! तिर्यंचों को देशविरतगुणस्थान होना संभव है।
उनसे भी सासादनसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणे हैं। यह गुणस्थान अनित्य होने से जब उसमें उत्कृष्ट संख्या होती है तब यह अल्पबहुत्व घटित होता है। क्योंकि किसी समय वे सर्वथा होते भी नहीं हैं और यदि किसी समय होते हैं तब जघन्य से एक दो भी होते हैं और उत्कृष्ट से देशविरति के प्रमाण में हेतुभूत क्षेत्र पल्योपम के असंख्यातवें भाग की अपेक्षा असंख्यातगुण ब क्षेत्रपल्योपम के असंख्यातवें भाग में वर्तमान आकाशप्रदेश प्रमाण होते हैं।
उनसे मिश्रदृष्टि जीव असंख्यातगुणे हैं। वे सासादन के प्रमाण में हेतुभूत क्षेत्रपल्योपम के असंख्यातवें भाग की अपेक्षा असंख्यातगुणे बड़े क्षेत्रपल्योपम के असंख्यातवें भाग में रखे हुए आकाशप्रदेश प्रमाण हैं। यह गुणस्थान भी अनित्य होने से जब उसमें उत्कृष्ट संख्या हो तभी यह अल्पबहुत्व घटित होता है। जब होते हैं तब जघन्य से एक दो जीव होते हैं और उत्कृष्ट से उपयुक्त संख्या होती है।
उनसे भी अविरतसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणे हैं। क्योंकि वे मिश्रष्टि की अपेक्षा असंख्यात गूणे बड़े क्षेत्रपल्योपम के असंख्यातवें भाग में रहे हुए आकाशप्रदेश प्रमाण हैं। ___अब उपर्युक्त गुणस्थानों से शेष रहे गुणस्थानों सम्बंधी अल्पबहुत्व का निर्देश करते हैं
१ यहाँ असंख्यात का प्रमाण क्षेत्रपल्योपम का असंख्यातवां भाग जानना
चाहिये।
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