SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०४ पंचसंग्रह : २ यहाँ पर बादर पुद्गलपरावर्तनों की प्ररूपणा सूक्ष्म पुद्गलपरावर्तनों का स्वरूप स्पष्ट करने के लिए की है । सिद्धान्त में सर्वत्र सूक्ष्म पुद्गलपरावर्तनों को उपयोगी बताया है और स्थूल पुद्गलपरावर्तनों का विचार उन सूक्ष्म पुद्गलपरावर्तनों का स्वरूप समझने की अपेक्षा से किया है। यद्यपि चारों सूक्ष्म पुद्गलपरावर्तनों में परमार्थतः कुछ विशेषता नहीं है, फिर भी जीवाभिगम आदि सूत्रों में क्षेत्र की अपेक्षा जहाँ भी विचार किया गया है, वहाँ प्रायः क्षेत्र पुद्गलपरावर्तन को ग्रहण किया है । यहाँ भी पुद्गलपरावर्तन का अर्थ क्ष ेत्र पुद्गलपरावर्तन समझना चाहिये । इस प्रकार से मिथ्यादृष्टि गुणस्थान के जघन्य, उत्कृष्ट काल एवं पुद्गलपरावर्तन के स्वरूप का निर्देश करने के बाद अब सासादन और मिश्रदृष्टि गुणस्थानों एवं औपशमिक सम्यक्त्व, क्षायिक सम्यक्त्व का हाल बतलाते हैं । सासादन, मिश्र गुणस्थान, सम्यक्त्वद्विक का काल आवलियाणं छक्कं समयादारम्भ सासणो होइ । मीसुवसम अंतमुहू खाइयदिट्ठी अनंतद्धा ॥४२॥ समयादारब्भ शब्दार्थ - आवलियाणं - आवलिका, छक्कं - छह, समय से प्रारम्भ होकर ( लेकर ), सासणी - सासादन गुणस्थान, होइ सबसे जघन्य अनुभागबंधस्थान में वर्तमान कोई जीव मरा, उसके बाद उस स्थान के अनन्तरवर्ती दूसरे अनुभागबंध स्थान में वह जीव मरा, उसके बाद उसके अनन्तरवर्ती तीसरे अनुभागबंधस्थान में मरा, इस प्रकार क्रम से जब समस्त अनुभागबंधस्थानों में मरण कर लेता है तो वह सूक्ष्म भाव पुद्गलपरावर्तन जानना चाहिए। सूक्ष्म भाव पुद्गलपरावर्तन में क्रम से होने वाले मरण को ग्रहण किया जाता है, किन्तु अक्रम से होने वाले अनन्तानन्त मरण गणना में नहीं लिये जाते हैं । १ दिगम्बर साहित्य में बताया गया पुद्गलपरावर्तनों का स्वरूप परिशिष्ट में देखिए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001899
Book TitlePanchsangraha Part 02
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages270
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy