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योगोपयोगमार्गणा अधिकार : परिशिष्ट २
भव्यमार्गणा की अपेक्षा भव्य जीवों में केवलद्विक के बिना शेष दस उपयोग और अभव्य जीवों के अज्ञानत्रिक और चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन यह पांव उपयोग पाये जाते हैं ।
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सम्यक्त्वमार्गणा की अपेक्षा मिथ्यात्व और सासादन सम्यक्त्व में मतिअज्ञान आदि अज्ञानत्रिक तथा चक्षुदर्शन व अचक्षुदर्शन ये पांच उपयोग पाये जाते हैं । औपशमिकसम्यक्त्व में आदि के तीन दर्शन और तीन सज्ञान ये छह उपयोग होते हैं । सम्यग्मिथ्यात्व में यह छह मिश्रित उपयोग होते हैं । क्षायिक सम्यक्त्व में अज्ञानत्रिक के बिना शेष नौ उपयोग तथा वेदकसम्यक्त्व में केवलद्विक और अज्ञानत्रिक के बिना शेष सात उपयोग पाये जाते हैं ।
संज्ञीमार्गणा की अपेक्षा संज्ञी जीवों में केवलद्विक के बिना शेष दस उपयोग होते हैं । क्योंकि सयोगि अयोगि केवलियों के तो नोइन्द्रियजन्य ज्ञान का अभाव होने से संज्ञी, असंज्ञी व्यपदेश नहीं होता है । इसलिये संज्ञी जीवों में केवलद्विक उपयोग नहीं माने जाते हैं । असंज्ञी जीवों में मति - अज्ञान, श्रुत-अज्ञान, चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन ये चार उपयोग होते हैं ।
आहारमार्गणा की अपेक्षा आहारक जीवों में सभी बारह उपयोग तथा अनाहारक जीवों में विभंगज्ञान, मनपर्यायज्ञान और चक्षुदर्शन के बिना शेष नौ उपयोग होते हैं ।
इस प्रकार से मार्गणाओं में उपयोगों का विचार जानना चाहिये ।
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