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________________ ३६ पंचसंग्रह ( १ ) होते हैं । वैक्रियकाययोग में मनपर्यायज्ञान और केवलद्विक को छोड़कर शेष नौ उपयोग पाये जाते हैं । वैक्रियमिश्रकाययोग में केवलद्विक, मनपर्यायज्ञान, विभंगज्ञान और चक्षुदर्शन इन पांच को छोड़कर शेष सात उपयोग होते हैं । आहारक और आहारकमिश्र काययोग में केवलद्विक मनपर्यायज्ञान और अज्ञानत्रिक इन छह उपयोगों को छोड़कर शेष छह उपयोग होते हैं । वेदमार्गणा की अपेक्षा पुरुषवेद में केवलद्विक को छोड़कर शेष दस उपयोग, स्त्रीवेद और नपुंसक वेद में केवलद्विक और मनपर्यायज्ञान इन तीन को छोड़कर शेष नौ उपयोग होते हैं । कषायमार्गणा की अपेक्षा क्रोधादि चारों कषायों में केवलद्विक को छोड़कर शेष दस उपयोग जानना चाहिये । ज्ञानमार्गणा की अपेक्षा तीनों अज्ञानों में मति- अज्ञान आदि अज्ञानत्रिक और चक्षुदर्शन व अचक्षुदर्शन ये पांच उपयोग होते हैं । मति आदि प्रथम चार सम्यग्ज्ञानों में अज्ञानत्रिक और केवलद्विक के बिना शेष सात उपयोग होते हैं । केवलज्ञान में केवलज्ञान और केवलदर्शन ये दो उपयोग जानना चाहिये । संयममार्गणा की अपेक्षा सामायिक, छेदोपस्थापना और सूक्ष्मसम्पराय संयम में अज्ञानत्रिक और केवलद्विक के बिना शेष सात उपयोग, परिहारविशुद्धिसंयम और देशविरतसंयम में आदि के तीन दर्शन और तीन सज्ञान - मति, श्रुत, अवधि ज्ञान इस प्रकार छह उपयोग होते हैं । यथाख्यातसंयम में पांचों सद्ज्ञान और चारों दर्शन इस प्रकार नौ उपयोग होते हैं । असंयम में मनपर्यायज्ञान और केवल द्विक के बिना शेष नौ उपयोग होते हैं । दर्शनमार्गणा की अपेक्षा आदि के दो दर्शनों में केवलद्विक के बिना शेष दस उपयोग होते हैं । अवधिदर्शन में केवलद्विक और अज्ञानत्रिक के बिना शेष सात उपयोग और केवलदर्शन में केवलज्ञान और केवलदर्शन ये दो उपयोग होते हैं । श्यामार्गणा की अपेक्षा कृष्णादि तीनों अशुभ लेश्याओं में मनपर्यायज्ञान और केवलद्विक के बिना शेष नौ, तेजोलेश्या और पद्मलेश्या में केवलद्विक के बिना शेष दस और शुक्ललेश्या में सभी बारह उपयोग जानना चाहिये । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001898
Book TitlePanchsangraha Part 01
Original Sutra AuthorChandrashi Mahattar
AuthorDevkumar Jain Shastri
PublisherRaghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
Publication Year1985
Total Pages312
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Philosophy
File Size15 MB
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