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आशा है उक्त संक्षिप्त भूमिका के आधार पर पाठक ग्रन्थ का प्रकरणानुसार यथाक्रम से अध्ययन -स्वाध्याय करेंगे । जिससे उन्हें जैन कर्मसिद्धान्त की विशेषताओं का ज्ञान होगा तथा उनकी स्वाध्याय प्रवृत्ति में सहयोगी बनने से मुझे मानसिक आह्लाद एवं आत्मिक सन्तोष प्राप्त होगा । इसी विश्वास के साथ अब विराम लेता हूँ ।
खजांची मोहल्ला बीकानेर ३३४००१
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- देवकुमार जैन
सम्पादक
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