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________________ षष्ठ कर्मग्रन्थ की मूल गाथाएँ वीसा | एक्कूणा ||१२|| पन्नरस । भवे तेरस जाण ॥१३॥ अट्ठगसत्तगछच्च उतिगदुगरगाहिया बारिक्कारस इत्तो पंचाइ संतस्स पगइठाणाई ताणि मोहस्स हुति बन्धोदयसंते पुण भंगविगप्पा बहू छब्बावीसे चउ इगवीसे सत्तरस तेरसे दो दो । नवबंध वि दोन्नि उ एक्केक्कमओ परं भंगा || १४ || दस बावीसे नव इक्कवीस सत्ताइ उदयठाणाई । छाई नव सत्तरसे तेरे पंचाइ अठेव ||१५|| चत्तारिमा नवबंधगेसु उक्कोस सत्त उदयंसा | पंचविहबंधगे पुण उदओ दोहं मुणेयव्वो ||१६|| इत्तो चउबंधाई इक्केक्कुदया हवंति सव्वे वि । बंधोवरमे वि तहा उदयाभावे वि वा होज्जा || १७ || एक्कग छक्केक्कारस दस सत्त चउक्क एक्कगा चेक । एए asareगया चउवीस दुगेक्कमिक्कारा || १८ || नवपंचाणउइस एहुदय विगप्पे हिं मोहिया जीवा । विन्नेया ||१६|| अउणत्तरिएगुत्तरिपयविंदसएहि जीवा । पर्यावदस एहि विन्नेया ||२०|| सत्तरसे । ठाणाई ||२१|| नवतेसीयस एहि उदयविगप्पेहिं मोहिया अउणत्तरिसीयाला तिन्नेव य बावीसे इगवीसे अट्ठवीस छ चचेव तेरनवबंधगेसु पंचेव पंचविहचविहेसुं छ छक्क सेसेसु जाण पंचेव । पत्तेयं पत्तेयं चत्तारि य बंधवोच्छे ||२२|| दसनवपन्नरसाई बंधोदय सन्तपय डिठाणाई । भणियाइं मोहणिज्जे इत्तो नामं परं वोच्छं ||२३|| तेवीस पण्णवीसा छब्बीसा अट्ठवीस गुणतीसा । नामस्स ||२४|| तीसेतीसमेक्कं Jain Education International बंधट्ठाणाणि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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