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सप्ततिका प्रकरण ही कारण है और यत्र-तत्र स्खलित भी हो गया होऊ किन्तु जो बहुश्रुत जन हैं, वे मेरे इस दोष को भूल जायें और जिस प्रकरण में जो कमी रह गई हो, उसकी पूर्ति करते हुए कथन करने का ध्यान रखें, यही विनम्र निवेदन है।
इस प्रकार हिन्दी व्याख्या सहित सप्ततिका प्रकरण समाप्त हुआ।
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