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गाथा ६६
४४४-४४६ अन्य आचार्य अयोगिकेवली गुणस्थान के अन्तिम समय में मनुष्यानुपूर्वी की सत्ता क्यों मानते हैं ?
४४४ गाथा ७०
४४६-४५० कर्मक्षय के अनन्तर निष्कर्म शुद्ध आत्मस्वरूप का वर्णन ४४७ गाथा ७१
४५०-४५१ ग्रंथ का उपसंहार
४५० गाथा ७२
४५१-४५२ लघुता प्रदर्शित करते हुए ग्रंथ की समाप्ति परिशिष्ट
परिशिष्ट १.-षष्ठ कर्मग्रंथ की मूल गाथायें परिशिष्ट २-छह कर्मग्रंथों में आगत पारिभाषिक शब्दों
का कोष परिशिष्ट ३-कर्मग्रंथों की गाथाओं एवं व्याख्या में आगत
पिण्डप्रकृति-सूचक शब्दों का कोष परिशिष्ट ४-सप्ततिका प्रकरण की गाथाओं का अका
रादि अनुक्रम परिशिष्ट ५-कर्मग्रंथों की व्याख्या में प्रयुक्त सहायक
ग्रंथों की सूची। तालिकाएं
मार्गणाओं में मोहनीयकर्म के बन्ध, उदय, सत्ता स्थानों व उनके संवेध भंगों का दर्शक विवरण
३७५ मार्गणाओं में नाम कर्म के बंध, उदय सत्ता स्थानों और उनके संवेध भंगों का दर्शक विवरण
३७५
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