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षष्ठ कर्मग्रन्थ
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क्रम
मार्गणा नाम
११ मूल प्रकृति मंग ७ ज्ञाना० 1.मंग २ दर्शना०
वेदनीय ! मंग ८
आयु०
मंग २८ ।
४५
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कृष्णलेश्या नीललेश्या कापोत लेश्या तेजोलेश्या
पालेश्या ५० शुक्ललेश्या
भव्यत्व
अभव्यत्व ५३ उपशम सम्यक्त्व
क्षायिक
क्षायोपशमिक ५६ | मिश्र ५७ | सासादन , ५८ मिथ्यात्व , ५६ | संज्ञी ६० | असंज्ञी ६१ | आहारी ६२ | अनाहारी
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गोत्र
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___ मार्गणाओं में मोहनीय और नाम कर्म के बंध, उदय, सत्ता के संवेध भंगों का विवरण संलग्न चार्टों में देखिए ।
अब आगे की गाथा में उदय से उदीरणा की विशेषता बतलाते हैंउदयस्सुदीरणाए सामित्ताओ न विज्जइ विसेसो।' मोत्तूण य इगुयाल सेसाणं सव्वपगईणं ॥५४॥ १ तुलना कीजिये - (क) उदओ उदीरणाए तुल्लो मोत्तूण एकचत्तालं !
आवरणविग्घसंजलण लोभवेए यदिट्ठिदुगं ।।---कर्मप्रकृति उदया० गा० (ख) उदयस्सुदीरणस्स य सामित्तादो ण विज्जदि विसेसो ।
-गो० कर्मकांड गा० २७८
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