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अंतराय
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सप्ततिका प्रकरण
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गोत्र
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वेदनीय भंग ११ दर्शना मंग २ ज्ञाना० मंग ७
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मूल प्रकृति
मार्गणा नाम
वनस्पतिकाय
सकाय मनोयोग वचनयोग काययोग पुरुषवेद नसकवेद स्त्रीवेद अवधिज्ञान मनःपर्यायज्ञान श्रुतज्ञान केवलज्ञान । मतिज्ञान
मत्यज्ञान श्रुतअज्ञान विभंगज्ञान छेदोपस्थापन सामायिक क्रोध सूक्ष्मसंपराय यथाख्यात | मान २४ । माया
। लोभ ३६ / परिहारविशुद्धि ३६ | देशविरत ४० । अविरत ४१ | चक्षुदर्शन ४२ / अचक्षुदर्शन ४३ / अवधिदर्शन ४४ | केवलदर्शन १५ २८
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