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षष्ठ कर्मग्रन्थ
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स्थान होते हैं तथा पंचेन्द्रियों के २०, २१, २५, २६, २७, २८, २९, ३०, ३१, ६ और प्रकृतिक, ये ग्यारह उदयस्थान होते हैं ।
सत्तास्थान कुल बारह हैं, जिनमें से एकेन्द्रियों और विकलेन्द्रियों में से प्रत्येक के ६२, ८, ८६, ८० और ७८ प्रकृतिक, ये पाँच-पाँच सत्तास्थान हैं तथा पंचेन्द्रियों के बारहों ही सत्तास्थान होते हैं ।
इस प्रकार एकेन्द्रिय आदि में से प्रत्येक के बंध, उदय और सत्ता स्थानों को बतलाकर अब इनके संवेध का विचार करते हैं ।
एकेन्द्रिय -- २३ प्रकृतियों का बंध करने वाले एकेन्द्रियों के प्रारम्भ के चार उदयस्थानों में से प्रत्येक उदयस्थान में पाँच-पाँच सत्तास्थान होते हैं तथा २७ प्रकृतिक उदयस्थान में ७८ को छोड़कर शेष चार सत्तास्थान होते हैं । इसी प्रकार २५, २६, २६ और ३० प्रकृतिक बंधस्थानों के भी उदयस्थानों की अपेक्षा सत्तास्थान जानना चाहिये । इस प्रकार २३ प्रकृतिक बंधस्थान में पांच उदयस्थानों की अपेक्षा प्रत्येक में २४ सत्तास्थान होते हैं, जिनका कुल जोड़ १२० है । ये सब सत्तास्थान
केन्द्र के हैं ।
बंधस्थान
२३ प्रकृतिक
२५ प्रकृतिक
भंग
४
२५
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उदयस्थान
a x x x x
२१
२४
२५
२६
२७
a x x w g
२१
२४
२५
२६
भंग
५
२,८८,८६,८०, ७८
११ ६२,८८, ८६, ८०, ७८
७
६२,८८,८६,८०, ७८
१३
१२, ८८, ८६, ८०, ७८
६ ६२, ८८, ८६, ८०
५
११
७
१३ ६
सत्तास्थान
६२,८८,८६,८०, ७८ ६२,८८,८६,८०, ७८ ६२, ८६, ८६, ८०, ७८ ६२,८८,८६,८०, ७८ ६२,८५,६६, ८०
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