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________________ ३१४ सप्ततिका प्रकरण सम्यग्दृष्टि होकर तीर्थंकर प्रकृति का बंध करता है और अंत समय में मिथ्यात्व को प्राप्त होकर नरक में जाता है उसी मिथ्यात्वी के अन्तर्मुहूर्त काल तक मिथ्यात्व में ८६ प्रकृतियों की सत्ता होती है। ८८ प्रकृतियों की सत्ता चारों गतियों के मिथ्यादृष्टि जीवों के संभव है क्योंकि चारों गतियों के मिथ्यादृष्टि जीवों के ८८ प्रकृतियों की सत्ता होने में कोई बाधा नहीं है। ८६ और ८० प्रकृतियों की सत्ता उन एकेन्द्रिय जीवों के होती है जिन्होंने यथायोग्य देवगति या नरकगति के योग्य प्रकृतियों की उद्वलना की है तथा ये जीव जब एकेन्द्रिय पर्याय से निकलकर विकलेन्द्रिय, तिर्यंच पंचेन्द्रिय और मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं तब इनके भी सब पर्याप्तियों के पर्याप्त होने के अनन्तर अंतर्मुहूर्त काल तक ८६ और ८० प्रकृतियों की सत्ता पाई जाती है। किन्तु इसके आगे वैक्रिय शरीर आदि का बंध होने के कारण इन स्थानों की सत्ता नहीं रहती है। ७८ प्रकृतियों की सत्ता उन अग्निकायिक और वायुकायिक जीवों के होती है जिन्होंने मनुष्यगति और मनुष्यानुपूर्वी की उद्वलना करदी है तथा जब ये जीव मरकर विकलेन्द्रिय और तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों में उत्पन्न होते हैं तब इनके भी अन्तर्मुहूर्त काल तक ७८ प्रकृतियों की सत्ता पाई जाती है । इस . प्रकार मिथ्यात्व गुणस्थान में ६२, ८६, ८८, ८६, ८० और ७८ प्रकृतिक, ये छह सत्तास्थान जानना चाहिये। ___अब सामान्य से मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में बंध, उदय और सत्ता स्थानों का कथन करने के बाद उनके संवेध का विचार करते हैं। २३ प्रकृतियों का बंध करने वाले मिथ्यादृष्टि जीव के पूर्वोक्त नौ उदयस्थान संभव हैं । किन्तु २१, २५, २७, २८, २६ और ३० प्रकृतिक, इन ६ उदयस्थानों में देव और नारक संबंधी जो भंग हैं, वे यहाँ नहीं पाये जाते हैं । क्योंकि २३ प्रकृतिक बंधस्थान में अपर्याप्त एकेन्द्रियों के योग्य प्रकृतियों का बंध होता है परन्तु देव अपर्याप्त एकेन्द्रियों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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