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________________ ( ३० ) गोत्रकर्म की उत्तर प्रकृतियों के संवेध भंग गोत्रकर्म के संवेध भंगों का दर्शक विवरण गाथा १० मोहनीयकर्म की उत्तर प्रकृतियों के बन्धस्थान बन्धस्थानों के समय और स्वामी मोहनीयकर्म के बन्धस्थानों का स्वामी और काल सहित विवरण गाथा ११ मोहनीय कर्म की उत्तर प्रकृतियों के उदयस्थान स्वामी और काल सहित उक्त उदयस्थानों का दर्शक विवरण गाथा १२, १३ मोहनीयकर्म की उत्तर प्रकृतियों के सत्तास्थान, स्वामी और काल अनन्तानुबन्धी चतुष्क की विसंयोजना : जयधवला अट्ठाइस प्रकृतिक सत्तास्थान का उत्कृष्ट काल : मतभिन्नता सत्तास्थानों के स्वामी और काल सम्बन्धी दिगम्बर साहित्य का मत स्वामी और काल सहित मोहनीयकर्म के सत्तास्थानों का दर्शक विवरण गाथा १४ मोहनीय कर्म की उत्तर प्रकृतियों के बन्धस्थानों के भंग गाथा १५, १६, १७ मोहनीय कर्म के बन्धस्थानों में उदयस्थानों का निर्देश मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में अनन्तानुबन्धी के उदय से रहित उदयस्थान की सम्भवता का निर्देश Jain Education International For Private & Personal Use Only ६० ६३ ६४-६६ ६५ ६७ ६६ ६६-७३ ७० ७२ ७४-८७ ७४ ७६ ७६ ७७ ८६ ८७-६० ८७ ६०-१०६ ६० ६७ www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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