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षष्ठ कर्मग्रन्थ
११५२
११५२
अविरत देशविरत प्रमत्तविरत अप्रमत्तविरत अपूर्वकरण अनिवृत्तिबादर
X X XXX
१३४४
८X २४
१३४४
9 जल
सूक्ष्म संपराय
७७०३ उदयविकल्प
विशेष-जब दूसरे मत के अनुसार मिश्र गुणस्थान में अवधिदर्शन सहित छह उपयोग होते हैं तब इसकी अपेक्षा प्राप्त हुए ६६ भंगों को ७७०३ भंगों में मिला देने पर कुल उदयविकल्प ७७६६ होते हैं।
इस प्रकार से उपयोगों की अपेक्षा उदयविकल्पों को बतलाने के बाद अब उपयोगों से गुणित करने पर प्राप्त पदवृन्दों के प्रमाण को बतलाते हैं।
पूर्व में भाष्य गाथा 'अट्ठी बत्तीसं.....' में गुणस्थानों में उदयस्थान पदों का संकेत किया जा चुका है। तदनुसार मिथ्यात्व में ६८, सासादन में ३२ और मिश्र गुणस्थान में ३२ उदयस्थान पद हैं, जिनका जोड़ १३२ होता है। इन्हें इन गुणस्थानों में सम्भव ५ उपयोगों से गुणित करने पर १३२४५=६६० हुए। अविरत सम्यग्दृष्टि में ६० और देशविरत में ५२ उदयस्थान पद हैं। जिनका जोड़ ११२ होता है, इन्हें यहाँ संभव ६ उपयोगों से गुणित करने पर ६७२ हुए । प्रमत्तसंयत
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