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________________ ( २८ ) मूल कर्मों के बंधस्थान तथा उनके स्वामी और काल का निर्देश मूलकर्मों के बंधस्थानों आदि का विवरण मूलकर्मों के उदयस्थान तथा उनके स्वामी और काल का निर्देश उदयस्थान आदि का विवरण मूलकर्मों के सत्तास्थान तथा उनके स्वामी और काल का निर्देश सत्तास्थान आदि का विवरण गाथा ३ मूल कर्मों के बंध, उदय और सत्ता स्थानों के संवेध भंगों का निर्देश मूल कर्मों के उक्त संवेध भंगों का स्वामी और काल सहित विवरण गाथा ४ उनका स्पष्टीकरण चौदह जीवस्थानों के संवेध भंगों का विवरण मूल कर्मों के जीवस्थानों में संवेध भंग आदि के तेरह जीवस्थानों के भंगों का विवरण संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवस्थान के संवेध भंगों का विवरण तथा गाथा ५ १४ १७ १७-२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only we i मूल कर्मों के गुणस्थानों में संवेध भंग मूल प्रकृतियों के गुणस्थानों में बंध उदय सत्ता संवेध भंगों का विवरण गाथा ६ ज्ञानावरण और अन्तराय कर्म की उत्तर प्रकृतियों के संवेध भंग १० १२ २० २२-२७ २२ २४ १८ २५ २६ २७-३० २८ २८ ३०-३४ ३२ www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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