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सप्ततिका प्रकरण
हैं जो पदवृन्द कहलाते हैं । अनन्तर इनमें दो प्रकृतिक उदयस्थान के २x१२ = २४ और एक प्रकृतिक उदयस्थान के ५ भंग इस प्रकार २६ भंगों को और मिला देने पर पदवृन्दों की कुल संख्या ८४७७ प्राप्त होती है । जिससे सब संसारी जीव मोहित हो रहे हैं कहा भी हैबारसपणसट्ठसया उदयविगप्पेहिं मोहिया जीवा ।
विन्नेया ॥ अर्थात ये संसारी जीव १२६५ उदयविकल्पों और ८४७७ पदवृन्दों
चुलसीईसत्तत्तरिपर्यावदसहि
से मोहित हो रहे हैं ।
गुणस्थानों की अपेक्षा उदयविकल्पों और पदवृन्दों का विवरण इस प्रकार जानना चाहिये
क्रम
सं०
४
५
६
७
१
मिथ्यात्व
७,८,९,१०
२ सासादन
७,८,६,१०
३
मिश्र
७,८,६
४ चौबीसी
अविरत
६,७,८,६
८ चौबीसी
देशविरत
५,६,७,८
चौबोसी
प्रमत्तविरत ४,५,६,७ ८ चौबीसी
अप्रमत्तवि० ४,५,६,७ ८ चौबीसी
अपूर्वकरण ४,५,६,७ ४ चौबीसी
१६ मंग
१
IS
गुणस्थान
८
उदयस्थान
भंग
गुण्य (पद) गुणकार
८ चौबीसी ६८ १
४ चौबीसी ३२
३२
O
५२
૪૪
४४
२०
२।१
१
२४
२४
२४
२४
२४
२४
२४
२४
१२।१
१
गुणनफल
( पदवृन्द )
१६३२
७६८
७६८
१४४०
१२४८
१०५६
१०५६
४८०
२४।४
६ अनिवृत्ति० २,१
१०
सूक्ष्म ०
१
१ मिथ्यात्व आदि गुणस्थानों में ६८ आदि पद (गुण्य) होने का स्पष्टीकरण आगे की गाथाओं में किया जा रहा है |
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