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________________ २०० ... सप्ततिका प्रकरण उदय में ६, अट्ठाईस प्रकृतियों के उदय में ६, उनतीस प्रकृतियों के उदय में ६, तीस प्रकृतियों के उदय में ६ और इकतीस प्रकृतियों के उदय में ४ सत्तास्थान होते हैं। इन सब का कुल जोड़ ७+५+७+ ७+६+६+६+६+४=५४ होता है। ____ अब तीस प्रकृतिक बंधस्थान का विचार करते हैं। जिस प्रकार तिर्यंचगति के योग्य २६ प्रकृतियों का बंध करने वाले एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, तिर्यंच पंचेन्द्रिय, मनुष्य, देव और नारकों के उदयस्थानों का विचार किया उसी प्रकार उद्योत सहित तिर्यंचगति के योग्य ३० प्रकृतियों का बंध करने वाले एकेन्द्रियादिक के उदयस्थान और सत्तास्थानों का चिन्तत करना चाहिये । उसमें ३० प्रकृतियों को बांधने वाले देवों के २१ प्रकृतिक उदयस्थान में ६३ और ८६ प्रकृतिक, ये दो सत्तास्थान होते हैं तथा २१ प्रकृतियों के उदय से युक्त नारकों के ८६ प्रकृतिक एक ही सत्तास्थान होता है, ६३ प्रकृतिक सत्तास्थान नहीं होता है । क्योंकि तीर्थंकर और आहारक चतुष्क को सत्ता वाला, जीव नारकों में उत्पन्न नहीं होता है जस्स तित्थगराऽऽहारगाणि जुगवं संति सो नेरइएसु न उववज्जइ । जिसके तीर्थंकर और आहारकचतुष्क, इनकी एक साथ सत्ता है वह नारकों में उत्पन्न नहीं होता है । यह चूर्णिकार का मत भी उक्त मंतव्य का समर्थन करता है। इसी प्रकार २५, २७, २८, २६ और ३० प्रकृतिक उदयस्थानों में भी समझना चाहिए। किन्तु इतनी विशेषता है कि नारकों के ३० प्रकतिक उदयस्थान नहीं है । क्योंकि ३० प्रकृतिक उदयस्थान उद्योत प्रकृति के सद्भाव में पाया जाता है परन्तु नारकों के उद्योत का उदय नहीं पाया जाता है। इस प्रकार सामान्य से ३० प्रकृतियों का बंध करने वाले जीवों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001897
Book TitleKarmagrantha Part 6 Sapttika
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1989
Total Pages584
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size8 MB
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