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गुण- बंध
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२८८
उदय पदवृन्द संख्या
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६६४७ १०१
सत्तास्थान
२८,२४,२१,१ २८, २४, २१, ११, ५,४ २८, २४, २१, ४, ३ २८, २४, २१, ३, २ २८, २४, २१, २, १
२, २४, २१, १
२८, २४, २१
नोट -- जिन आचार्यों का मत है कि चार प्रकृतिक बंधस्थान में दो और एक प्रकृतिक उदयस्थान होता है, उनके मत से १२ उदयपद और २४ उदयपदवृन्द बढ़कर उनकी संख्या क्रम से ६६५ और ६६७१ हो जाती है ।
षष्ठ कर्मग्रन्थ
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