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________________ परिशिष्ट - ३ पल्य को भरने में लिये जाने वाले बालानों सम्बन्धी अनुयोगद्वार - सूत्र आदि का कथन पल्योपम का प्रमाण बतलाने के लिए एक योजन लंबे, एक योजन चौड़े और एक योजन गहरे पल्य- गड्ढे को एक से लेकर सात दिन तक के बालानों से भरने का विधान किया है। इस संबंधी विभिन्न दृष्टिकोणों को यहाँ स्पष्ट करते हैं । अनुयोगद्वार सूत्र में 'एगा हिल, वेअहि, तेआहिल जाव उक्कोसेणं सत्त रत्तरूढाणं'--"वालग्गकोडीणं' लिखा है और प्रवचनसारोद्धार में भी इसी से मिलता-जुलता पाठ है। इसका अर्थ किया गया है कि सिर के मुड़ा देने पर बड़े बाल निकलते हैं, वे एका हिक्य कहलाते हैं, दो दिन के निकले बाल द्वयाहिक्य, तीन दिन के निकले बाल व्याहिय, इसी तरह सात दिन के उगे हुए बाल लेना चाहिये । दोनों की टीका में एक दिन में जितने द्रव्यलोकप्रकाश में इसके बारे में लिखा है कि उतरकुरु के मनुष्यों का सिर मुड़ा देने पर एक से सात दिन तक के अन्दर जो केशाग्रराशि उत्पन्न हो, वह लेना चाहिये । उसके आगे लिखा है कि क्षेत्रसमासवृहद्वृत्तिजम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिवृत्यभिप्रायोऽयम्. प्रवचनसारोद्वारवृत्तिसंग्रहणी वृहद्वृत्योस्तु मुण्डिते शिरसि एकेनाह्ना द्वाभ्यामहोभ्यां यावदुत्कर्षतः सप्तभिरहोभिः प्ररूढानि वालाग्राणि इत्यादि सामान्यतः कथनादुत्तरकुरुतरवालाग्राणि नोक्तानीति ज्ञेयम् । 'वीरञ्जय सेहर' क्षेत्रविचार सत्कस्वोपज्ञवृत्तौ तु देवकुरूत्तरकुरूद्भवसप्त दिन जातो रणस्योत्सेघाङ्गलप्रमाणं रोम सप्तकृत्वोऽष्टखण्डीकरणेन विशतिलक्षसप्तनवतिसहस्रं कशतद्वाप ञ्चाशत प्रमितखण्डभावं प्राप्यते, तादृशै रोमखण्डैरेष पल्यो भ्रियत इत्यादिरर्थतः संप्रदायो दृश्यत इति ज्ञेयम् । For Private & Personal Use Only Jain Education International HOME CEAS C www.jainelibrary.org
SR No.001896
Book TitleKarmagrantha Part 5 Shatak
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorShreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1986
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size24 MB
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