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पचम कर्मग्रन्थ
१६१ ___. उससे बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त का उत्कृष्ट स्थितिबंध कुछ अधिक है।
१०. उससे द्वीन्द्रिय पर्याप्त का जघन्य स्थितिबंध संख्यात गुणा है।
११. उससे द्वीन्द्रिय अपर्याप्त का जघन्य स्थितिबंध कुछ अधिक
१२. उससे द्वीन्द्रिय अपर्याप्त का उत्कृष्ट स्थितिबंध कुछ अधिक है।
१३. उससे द्वीन्द्रिय पर्याप्त का उत्कृष्ट स्थितिबंध कुछ अधिक है। १४. उससे त्रीन्द्रिय पर्याप्त का जघन्य स्थितिबंध कुछ अधिक है।
१५. उससे त्रीन्द्रिय अपर्याप्त का जघन्य स्थितिबंध कुछ अधिक है।
१६. उससे त्रीन्द्रिय अपर्याप्त का उत्कृष्ट स्थितिबंध कुछ अधिक है।
१७. उससे त्रीन्द्रिय पर्याप्त का उत्कृष्ट स्थितिबंध कुछ अधिक है।
१८. उससे चतुरिन्द्रिय पर्याप्त का जघन्य स्थितिबंध कुछ अधिक है।
१६. उससे चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त का जघन्य स्थितिबंध कुछ अधिक है।
२०. उससे चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त का उत्कृष्ट स्थितिबंध कुछ अधिक है।
२१. उससे चतुरिन्द्रिय पर्याप्त का उत्कृष्ट स्थितिबंध कुछ अधिक है।
२२. उससे असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त का जघन्य स्थितिबंध संख्यात गंणा है।
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