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गाथाङ्क
२१०
६१ ७१
५२ ६,८,६०-२,६७-२,६९
७,८
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प्राकृत
संस्कृत हिन्दी उइरंति' उदीरयन्ति उदित होते हैं। उकस्स
उत्कृष्ट . सबसे बड़ा। उत्तर उत्तर
अवान्तर विशेष तथा 'औदयिक नामक भावविशेष। उदय (इअ) उदय
'उदय' नामक कर्मों की अवस्थाविशेष। (६-१,१९७-६, २०५-३) उदीरणा (६-५) उदीरणा 'उदीरणा' नामक कर्मों की अवस्था विशेष। उद्धरिअ उद्धरित निकाल लेना। उरल(९३-८ औदारिक 'औदारिक' नामक काययोग विशेष। उरलदुग औदारिक द्विक ___'औदारिक' और औदारिकमिश्र' नामक कामयोग
विशेष। उरलमीस (मिस्स) औदारिकमिश्र 'औदारिकमिश्रयोग' नामक काय योगविशेष। (जोग) (योग) उवओग(५-८) उपयोग 'उपयोग' नामक मार्गणाविशेष। उवरिम
उपरिम
৩৭,৬৩ ४,५,२४,२९,४६,४७
२६,२७,२८
चौथा कर्मग्रन्थ
४,२८,२९,४९,५६.
१,५,३०,३५,६५
५९,७०
ऊपर का।
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१. क्रियापद शब्द विभक्तिसहित रक्खे गये हैं।