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चौथा कर्मग्रन्थ
अतएव चतुर्थ कर्मग्रन्थ में इस विषय का प्रतिपादन किया है और उक्त जिज्ञासा की पूर्ति की गई है। जैसे मार्गणास्थानों में गुणस्थानों की जिज्ञासा होती है, वैसे ही जीवस्थानों में गुणस्थानों की और गुणस्थान में जीवस्थानों की भी जिज्ञासा होती है। इतना ही नहीं, बल्कि जीवस्थानों में योग, उपयोग आदि अन्यान्य विषयों की और मार्गणास्थानों में जीवस्थान, योग, उपयोग आदि अन्यान्य विषयों की तथा गुणस्थानों में योग, उपयोग आदि अन्यान्य विषयों की भी जिज्ञासा होती है। इन सब जिज्ञासाओं की पूर्ति के लिये चतुर्थ कर्मग्रन्थ की रचना हुई है। इसी से इसमें मुख्यतया जीवस्थान, मार्गणास्थान और गुणस्थान, ये तीन अधिकार रक्खे गये हैं और प्रत्येक अधिकार में क्रमशः आठ, छ: तथा दस विषय वर्णित हैं, जिनका निर्देश पहली गाथा के भावार्थ में पृष्ठ २ पर तथा फुटनोट में संग्रह गाथाओं के द्वारा किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रसंगवश इस ग्रन्थ में ग्रन्थकार ने भावों का और संख्या का भी विचार किया है।
यह प्रश्न हो ही नहीं सकता कि तीसरे कर्मग्रन्थ की संगति के अनुसार मार्गणास्थानों में गुणस्थानों मात्र का प्रतिपादन करना आवश्यक होने पर भी, जैसे अन्य-अन्य विषयों का इस ग्रन्थ में अधिक वर्णन किया है, वैसे और भी नये-नये कई विषयों का वर्णन इसी ग्रन्थ में क्यों नहीं किया गया? क्योंकि किसी भी एक ग्रन्थ में सब विषयों का वर्णन असम्भव है। अतएव कितने और किन विषयों का किस क्रम से वर्णन करना, यह ग्रन्थकार की इच्छा पर निर्भर है; अर्थात् इस बात में ग्रन्थकार स्वतन्त्र है। इस विषय में नियोग-पर्यनियोग करने का किसी को अधिकार नहीं है।
प्राचीन और नवीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ ‘षडशीतिक' यह मुख्य नाम दोनों का समान है, क्योंकि गाथाओं की संख्या दोनों में बराबर छियासी ही है। परन्तु नवीन ग्रन्थकार ने 'सूक्ष्मार्थ विचार' ऐसा नाम दिया है और प्राचीन की टीका के अन्त में टीकाकारने उसका नाम 'आगमिक वस्तु विचारसार' दिया है। नवीन की तरह प्राचीन में भी मुख्य अधिकार जीवस्थान, मार्गणास्थान और गुणस्थान, ये तीन ही हैं। गौण अधिकार भी जैसे नवीन क्रमश: आठ, छः तथा दस हैं, वैसे ही प्राचीन में भी हैं। गाथाओं की संख्या समान होते हुए भी नवीन में यह विशेषता है कि उसमें वर्णन शैली संक्षिप्त करके ग्रन्थकार ने दी और विषय विस्तारपूर्वक वर्णन किये हैं। पहला विषय 'भाव' और दूसरा ‘संख्या' है। इन दोनों का स्वरूप नवीन में सविस्तार है और प्राचीन में बिल्कुल नहीं है। इसके अतिरिक्त प्राचीन और नवीन का For Private & Personal Use Only
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