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________________ ३२ कर्मग्रन्थभाग-१ ३. अनन्तानुबन्धी माया और ४. अनन्तानुबन्धी लोभा अनन्तानुबन्धी कषाय सम्यक्त्व का घात करता है। २. अप्रत्याख्यानावरण-जिस कषाय के उदय से देशविरति रूप अल्पप्रत्याख्यान नहीं होता, उसे अप्रत्याख्यानावरण कषाय कहते हैं। तात्पर्य यह है कि इस कषाय के उदय से श्रावक धर्म की भी प्राप्ति नहीं होती। इस कषाय के चार भेद हैं- १. अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, २. अप्रत्याख्यानावरण मान, ३. अप्रत्याख्यानावरण माया और ४. अप्रत्याख्यानावरण लोभ। ३. प्रत्याख्यानावरण—जिस कषाय के उदय से सर्वविरति रूप प्रत्याख्यान रुक जाता है—अर्थात् साधु धर्म की प्राप्ति नहीं होती, उसे अप्रत्याख्यानावरण कषाय कहते हैं। यह कषाय देश विरति रूप श्रावक धर्म में बाधा नहीं पहुँचाता। इसके चार भेद हैं- १. प्रत्याख्यानावरण क्रोध, २. प्रत्याख्यानावरण मान, ३. प्रत्याख्यानावरण माया और ४. प्रत्याख्यानावरण लोभी ४. सवलन-जो कषाय, परीषह तथा उपसर्गों के आ जाने पर यतियों को भी थोड़ा-सा जलावे-अर्थात् उन पर थोड़ा असर जमावे, उसे सज्वलन कषाय कहते हैं। यह कषाय, सर्वविरति रूप यथाख्यातचारित्र में बाधा पहुँचाता है-अर्थात् उसे होने नहीं देता। इसके भी चार भेद हैं- १. सज्वलन क्रोध, २. सज्वलन मान, ३. सज्वलन माया और ४. सज्वलन लोभ। मन्द बुद्धियों को समझाने के लिये चार प्रकार के कषायों का स्वरूप कहते हैं। जाजीववरिसचउमासपक्खगा नरयतिरिय नरअमरा । सम्माणुसव्वविरईअहखायचरित्तघायकरा ।।१८।। उक्त अनन्तानुबन्धी आदि चार कषाय क्रमशः । (जाजीव वरिस चउमास पक्खगा) यावत् जीव, वर्ष चतुर्मास और पक्ष तक रहते हैं और वे (नरयतिरियनरअमरा) नरक गति, तिर्यञ्च गति, मनुष्य गति तथा देवगति के कारण हैं और (सम्माण सव्व विरई अहखाय चरित्त घायकरा) सम्यक्त्व, अणुविरति, सर्वविरति तथा यथाख्यातचारित्र का घात करते हैं ।।१८।। भावार्थ-१. अनन्तानुबन्धी कषाय वे हैं, जो जीवनपर्यन्त बने रहें, जिनसे नरक गति योग्य कर्मों का बन्ध हो और सम्यग्दर्शन का घात होता हो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001894
Book TitleKarmagrantha Part 1 2 3 Karmavipaka Karmastav Bandhswamitva
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2008
Total Pages346
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size15 MB
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