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प्रस्तावना
इस पर यह तर्क किया जा सकता है कि 'जड़, चेतन ये दो स्वतन्त्र विरोधी तत्त्व मानना उचित नहीं, परन्तु किसी एक ही प्रकार के मूल पदार्थ में जड़त्व व चेतनत्व दोनों शक्तियाँ मानना उचित है। जिस समय चेतनत्व शक्ति का विकास होने लगता है— उसकी अभिव्यक्ति होती है— उस समय जड़त्व शक्ति का तिरोभाव रहता है। सभी चेतन शक्तिवाले प्राणी जड़ पदार्थ के विकास के ही परिणाम हैं। वे जड़ के अतिरिक्त अपना स्वतन्त्र अस्तित्व नहीं रखते, किन्तु जड़त्व शक्ति का तिरोभाव होने से जीव धारीरूप में दिखाई देते हैं।' ऐसा ही मन्तव्य हेगल आदि अनेक पश्चिमीय विद्वानों का भी है। परन्तु उस प्रतिकूल तर्क का निवारण अशक्य नहीं है।
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यह देखा जाता है कि किसी वस्तु में जब एक शक्ति का प्रादुर्भाव होता है तब उसमें दूसरी विरोधिनी शक्ति का तिरोभाव हो जाता है। परन्तु जो शक्ति तिरोहित हो जाती है वह सदा के लिये नहीं, किसी समय अनुकूल निमित्त मिलने पर फिर से उसका प्रादुर्भाव हो जाता है। इसी प्रकार जो शक्ति प्रादुर्भूत हुई होती है वह भी सदा के लिये नहीं । प्रतिकूल निमित्त मिलते ही उसका तिरोभाव हो जाता है। उदाहरणार्थ पानी के अणुओं को लीजिये, वे गरमी पाते ही भापरूप में परिणत हो जाते हैं, फिर शैल आदि निमित्त मिलते ही पानीरूप में बरसते हैं और अधिक शीतत्व प्राप्त होने पर द्रवत्वरूप को छोड़ बर्फरूप में घनत्व को प्राप्त कर लेते हैं।
इसी तरह यदि जड़त्व-चेतनत्व दोनों शक्तियों को किसी एक मूल तत्त्वगत मान लें, तो विकासवाद ही न ठहर सकेगा। क्योंकि चेतनत्व शक्ति के विकास के कारण जो आज चेतन (प्राणी) समझे जाते हैं वे ही सब, जड़त्वशक्ति का विकास होने पर फिर जड़ हो जायँगे। जो पाषाण आदि पदार्थ आज जड़त्व में दिखाई देते हैं वे कभी चेतन हो जायेंगे और चेतनरूप से दिखाई देने वाले मनुष्य, पशु-पक्षी आदि प्राणी कभी जड़रूप भी हो जायँगे । अतएव एक-एक पदार्थ में जड़त्व, चेतनत्व दोनों विरोधिनी शक्तियों को न मान कर जड़-चेतन दो स्वतन्त्र तत्त्वों को ही मानना ठीक है।
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(ङ) शास्त्र व महात्माओं का प्रामाण्य - अनेक पुरातन शास्त्र भी आत्मा के स्वतन्त्र अस्तित्व का प्रतिपादन करते हैं। जिन शास्त्रकारों ने बड़ी शान्ति व गम्भीरता के साथ आत्मा के विषय में खोज की है, उनके शास्त्रगत अनुभव को यदि हम बिना ही अनुभव किये चपलता से यों ही हँस दें तो, इसमें क्षुद्रता किस की ? आजकल भी अनेक महात्मा ऐसे देखे जाते हैं कि जिन्होंने अपना
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